सरसों के साग में हाई फाइटेट और आहार फाइबर सामग्री लोहे, कैल्शियम और मैग्नीशियम के अवशोषण में बाधा कर सकती है, थाइराइड की समस्या से पीड़ित लोगों को सरसों का साग का सेवन कम करना चाहिए। क्योंकि इसमें गोईट्रोजेन होता है जो थाइराइड असर कर सकता है।
प्रेग्नेंसी और छोटे बच्चों के लिए सरसों का साग हानिकारक होता है, और यह संभावना है कि किसी छोटे बच्चे को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
सरसों के साग में ऑग्जेलिक एसिड होता है, जो कुछ लोगों के लिए किडनी में पथरी की वजह बन सकता है। अगर पथरी की परेशानी हो तो सरसों के पत्ते का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए।
सरसों का साग सुबह का शाम और शाम का सुबह दोबारा गर्म करके नहीं खाना चाहिए। इसमें मौजूद नाइट्रेट बैक्टीरिया की वजह से विषैले तत्व नाइट्रोसेमाइन में चेंज होते हैं।
ब्लड प्रेशर के मरीज के लिए साग खाना खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि सरसों के ज्यादा सेवन से शरीर में सोडियम का लेवल कम हो सकता है और यह ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को सरसों के सेवन से बचना चाहिए।
अगर किसी को पाचन से जुड़ी समस्या है, तो उसे भी सरसों का साग नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इससे गैस ज्यादा बनती है। इसके अलावा हरी मिर्च का इस्तेमाल सब्जी बनाते टाइम भी किया जाता है, जिन लोगों को अक्सर एसिडिटी की परेशानी रहती है। उन्हें साग-सब्जियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।