जानें छठ पूजा से जुड़ी 9 महत्वपूर्ण व जरूरी बातें

छठ पर्व आस्था

छठ पर्व आस्था का पर्व माना गया है। यह बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। तो आज जानेंगे छठ पूजा से जुड़ी 7 जरूरी की बातें, आइए जानते हैं।

36 घंटे का निर्जला व्रत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ का पर्व चार दिनों का होता है यह नहाय खाय से शुरू होता है और उगते सूर्य को अर्घ्य देती है उसके बाद व्रत का पारण होता है।

छठ में होता है इन देवी-देवताओं की पूजा

छठ महापर्व में सूर्य देव, उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा साथ ही सूर्य देव की बहन छठी मैया की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो जातक सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, उनका मान सम्मान बढ़ता है।

जानें कौन है छठी मैया

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को संतान की रक्षा करने वाली देवी माना गया है। छठी मैया को प्रकृति का छठवां अंश कहा जाता है। साथ ही इन्हें ब्रह्म देव की मानस पुत्री भी कहा जाता है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की मान्यता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छठ पर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान होता है, मान्यता है कि जो व्यक्ति डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं उनका फिर से उदय होता है।

छठ पर्व में क्या है नहाय खाय

छठ पर्व के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है इस दिन व्रती नमक का सेवन नहीं करती है। मान्यता है कि व्रती नहाय-खाय के दिन कद्दू भात को पूजा करती है और भोग लगाती है।

छठ पूजा में क्या है खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है मान्यता है कि खरना के दिन सूर्य देव के डूबने के बाद दूध, चावल और गुड़ से खीर और रोटी बनाया जाता है। साथ ही भोग भी लगाया जाता है।

छठ पर्व में संध्या अर्घ्य क्या है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छठ पूजा के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान होता है। मान्यता है कि संध्या अर्घ्य के समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं।

छठ पर्व में क्यों दिया जाता है उगते सूर्य को अर्घ्य

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उगते सूर्य को अर्घ्य के समय सूर्य देव अपनी पत्नी उषा के साथ होते हैं और उषा को अर्घ्य देने से परिवार की खुशहाली बनी रहती है। साथ ही संतान की प्राप्ति होती है।

छठ व्रत का कैसे करें पारण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा के पारण में व्रत के खोलने के दौरान पूजा में चढ़ाया हुआ प्रसाद ठेकुआ और फल खाया जाता है। उसके बाद कच्चा दूध पीकर व्रत खोला जाता है।