सनातन धर्म में कितने प्रकार के होते हैं विवाह, जानें यहां-
ब्रह्म विवाह
ब्रह्म विवाह
सनातन धर्म में सबसे पहला ब्रह्म विवाह आता है, इस विवाह को सर्वोत्तम विवाह कहा गया है।
देव विवाह
देव विवाह
दुसरा विवाह देव विवाह होता है, इसमें किसी यज्ञ के पूर्ण होने के बाद बुलाए गए ब्राह्मण के बेटी की कन्या का दान होता है।
आर्ष विवाह
आर्ष विवाह
सनातन धर्म में तीसरे स्थान पर आता है आर्ष विवाह, इस विवाह में ब्राह्मण विवाह करके अग्निहोत्र करना चाहता है।
प्रजापत्य विवाह
प्रजापत्य विवाह
चौथे स्थान पर प्रजापत्य विवाह आता है, यह विवाह भी ब्रह्म विवाह की तरह होता है। बस इतना फर्क होता है कि कन्या के पिता कन्या का हाथ वर के हाथ में देता है।
गंधर्व विवाह
गंधर्व विवाह
पांचवें स्थान पर गंधर्व विवाह होता है, इस विवाह में माता-पिता के बिना बताए ही वर-वधु एक दूसरे से विवाह कर लेते हैं।
असुर विवाह
असुर विवाह
छठे स्थान पर असुर विवाह आता है। इस विवाह में कन्या को पिता से मूल्य देकर खरीदा जाता है।
राक्षस विवाह
राक्षस विवाह
राक्षस विवाह सातवें स्थान पर आता है। इस विवाह में कन्या की अनुमति के बिना विवाह होता है। यानी कन्या को अपहरण करके विवाह करना होता है।
सनातन धर्म में आठवें स्थान पर पैशाच विवाह आता है। इस विवाह में निद्रा, मदहोशी की अवस्था में विवाह होती है।
सनातन धर्म में आठवें स्थान पर पैशाच विवाह आता है। इस विवाह में निद्रा, मदहोशी की अवस्था में विवाह होती है।