अनुलोम-विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
इसे करने के लिए नाक के दाएं छेद से सांस खींचें और फिर बाएं छेद से सांस को बाहर छोड़ें। इसी तरह अगर नाक के बाएं छेद से सांस लेते हैं, तो नाक के दाहिने छेद से सांस बाहर छोड़ते हैं। इससे फेफड़ों को काफी फायदा मिलता है।
इसे करने के लिए नाक के दाएं छेद से सांस खींचें और फिर बाएं छेद से सांस को बाहर छोड़ें। इसी तरह अगर नाक के बाएं छेद से सांस लेते हैं, तो नाक के दाहिने छेद से सांस बाहर छोड़ते हैं। इससे फेफड़ों को काफी फायदा मिलता है।