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तुसली विवाह के मौके पर जगमगाए वाराणसी के घाट, पांच लाख दीयों के साथ जगे प्रभु नारायण, देखें Video

Viral Video: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में देव उत्थान एकादशी और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के मौके पर पर गड़ौली घाट को सजाया गया। यहां पांच लाख दीए जलाए गए। दीयों की रोशने से जगमग घाट पर पहुंचे लोगों ने जमकर सेल्फी लीं। इस दौरान घाट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Nov 5, 2022 20:43
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Viral Video: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में देव उत्थान एकादशी और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के मौके पर पर गड़ौली घाट को सजाया गया। यहां पांच लाख दीए जलाए गए। दीयों की रोशने से जगमग घाट पर पहुंचे लोगों ने जमकर सेल्फी लीं। इस दौरान घाट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। एएनआई की ओर से भी यह वीडियो जारी किया गया है।

क्या है देव उठानी या देवोउत्थान एकादशी

जानकारी के मुताबिक देव उठानी या देवोत्थान एकादशी के मौके पर यह दीप जलाए जाते हैं। यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो घर के मंदिर में दीप जलाए जाते हैं।

इसके पीछे मान्यता है कि भगवान विष्णु के जागने पर भगवान शंकर समेत सभी देवी-देवताओं ने उनकी पूजा की थी। सृष्टि के संचालन का कार्यभार दोबार उन्हें सौंपा गया था। इस कारण से हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव प्रबोधिनी, देवोत्थान या देवउठनी एकादशी मनाई जाती है।

माता लक्ष्मी ने नारायण भगवान को दिया था ये सुझाव

वहीं पौराणिक कथाओं के मुताबक माता लक्ष्मी ने एक बार नारायण भगवान ने कहा कि प्रभु आप दिन-रात जागते हैं। और जब सोते हैं तो करोड़ों वर्षों तक सोते रहते हैं। इस कारण सृष्टि में हाहाकार मच जाता है। मेरा सुझाव है कि आप प्रति वर्ष कुछ माह के लिए विश्राम किया करें।

माता लक्ष्मी के इस सुझाव को मानते हुए प्रभु नारायण ने कहा था कि मैं वर्षा ऋतु में सोया करूंगा। माना जाता है कि तभी से यह परंपरा शुरू हुई। कथाओं के अनुसार वर्षा ऋतु के बीतने के बाद प्रभु नारायण को जगाने के लिए तुलसी की पूजा की जाती है, क्योंकि तुसली को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है।

First published on: Nov 05, 2022 08:43 PM
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