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Bihar: कुढ़नी की सियासी पिच पर नीतीश कुमार के ‘खिलाड़ी’ बोल्ड, पार्टी के वरिष्ठ नेता ने ही उठाए सवाल

सौरभ कुमार, पटना: बिहार की कुढ़नी विधानसभा पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता ने 3632 से वोट से जीत हासिल की। केदार प्रसाद गुप्ता को कुल 76648 वोट मिले जबकि उनके निकट निकटतम प्रतिद्वंदी महागठबंधन से जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा को 73016 वोट मिले। अब ऐसे में सवाल ये उठता है […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Dec 10, 2022 12:40
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सौरभ कुमार, पटना: बिहार की कुढ़नी विधानसभा पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता ने 3632 से वोट से जीत हासिल की। केदार प्रसाद गुप्ता को कुल 76648 वोट मिले जबकि उनके निकट निकटतम प्रतिद्वंदी महागठबंधन से जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा को 73016 वोट मिले। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि सात पार्टियों के महागठबंधन के बाद बीजेपी की जीत कैसे हुई? आखिर महागठबंधन की हार का मुख्य वजह क्या है?

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जेडीयू के अंदर ही गतिरोध तेज

कुढ़नी की सियासी पिच पर नीतीश कुमार का खिलाड़ी कैसे मात खा गया? कुढ़नी की हार के बाद जेडीयू के अंदर ही गतिरोध तेज हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी को आइना दिखाते हुए ट्वीट भी किया है। उन्होंने कहा है कि कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- “जनता हमारे हिसाब से नहीं, बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।”

पूर्व विधायक नीतीश कुमार हार के जिम्मेदार

उपचुनाव में महागठबंधन को हराकर मतदाताओं ने जेडीयू और आरजेडी के नेताओं को एक संदेश देने की कोशिश की है। संदेश यह है कि मैंडेट के विरुद्ध जाकर नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन सरकार का गठन किया जाना जनता को पसंद नहीं है। कुढ़नी राजद के पूर्व विधायक नीतीश कुमार को हार का जिम्मेदार मानकर इस्तीफा मांगा है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष का मानना है कि महागठबंधन बन तो गया है, लेकिन अभी तक इसने पूर्ण स्वरूप नहीं लिया है।

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नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता!

जीतनराम मांझी की पार्टी हम और वीआईपी की मानें तो हार का एक मात्र कारण नीतीश कुमार के प्रति घटती लोकप्रियता है। अतिपिछड़ों पर नीतीश कुमार की पकड़ अब ढीली हो गई है। नीतीश कुमार का वोट बैंक अब उनसे दूर होता जा रहा है। कुढ़नी के जीत के बाद बीजेपी काफी उत्साहित है। हाल के महीनों में बिहार में तीन उपचुनाव हुए जिसमें मोकामा को छोड़ गोपालगंज और कुढ़नी में बीजेपी ने जीत हासिल की। 2020 में बीजेपी कुढ़नी में 712 वोटों से चुनाव हार गई थी जबकि उस समय साथ में नीतीश कुमार थे और अब बिना नीतीश बीजेपी ने कुढ़नी में जीत हासिल की है। अब बीजेपी नेता कह रहे हैं कि बिहार में एनडीए का मतलब नीतीश नहीं बल्कि बीजेपी है और थी। दूसरी तरफ सुशील मोदी नीतीश कुमार से हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा मांग रहे हैं।

महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी

उनका कहना है कि अति पिछड़ों में मजबूत पकड़ रखने वाले नीतीश कुमार की पकड़ अब अतिपिछड़ों में कमजोर दिखने लगी है। कुढ़नी चुनाव इस बात का प्रमाण है कि बिहार की जनता ने सात दलों का गठबंधन महागठबंधन को नकार दिया है और केवल एक पार्टी बीजेपी का साथ दिया है। अब नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी भी उनपर तंज कस रहे हैं। बीजेपी के जीत को महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी बताया जा रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

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First published on: Dec 09, 2022 09:28 PM

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