Bangladesh Violence: मां-बाप और तीन भाइयों की हुई हत्या, 2 बार खुद पर जानलेवा हमला; ऐसी है शेख हसीना की कहानी
Bangladesh News LIVE updates: बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से रिजाइन कर दिया है। वे बांग्लादेश को छोड़कर भारत की ओर आ रही हैं। ढाका से एक विमान उनको लेकर पटना से आगे आ चुका है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे राजधानी दिल्ली में शरण ले सकती हैं। ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वे फिनलैंड जा सकती हैं। कई दिन से चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के कारण उनको ढाका छोड़ना पड़ा। दो महीने से बांग्लादेश में हिंसा हो रही है। झड़पों के कारण काफी लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर जब सख्ती की तो वे और भड़क गए। प्रदर्शनकारियों ने हसीना से इस्तीफे की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया था।
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर रहमान के घर हुआ था। वे उनकी सबसे छोटी बेटी हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई पूर्वी बंगाल के तुंगीपाड़ा में हुई। इसके बाद वे सेगुनबागीचा में रहीं। बाद में फैमिली ढाका शिफ्ट हुई थी। 1966 में ईडन महिला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे राजनीति में आईं। स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और वाइस प्रेसिडेंट बनीं। बाद में पिता की आवामी लीग पार्टी के स्टूडेंट विंग की अगुआई करने लगीं। 1975 में बांग्लादेश की सेना ने बगावत कर दी थी। हथियारबंद लड़ाकों ने उनके पिता, माता और तीन भाइयों को मौत के घाट उतार दिया था।
यूरोप में थीं पति के साथ, इसलिए बच गईं
हमले के समय शेख हसीना अपनी बहन और पति वाजिद मियां के साथ यूरोप में थीं। इसके बाद कुछ समय तक जर्मनी में रहीं। इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें भारत में शरण दी। वे अपनी बहन के साथ दिल्ली में करीब 6 साल रहीं। इसके बाद 1981 में बांग्लादेश पहुंचीं। एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए लाखों लोग जुटे थे। 1986 में पहला आम चुनाव लड़ा। लेकिन हार का सामना करना पड़ा। बाद में विपक्ष की नेता चुनी गईं। 1991 के चुनाव में भी उनकी पार्टी पीछे रही।
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खालिद जिया की पार्टी ने सरकार बनाई। 1996 में शेख हसीना की पार्टी की सरकार बनी। 2001 में फिर उनको हार का सामना करना पड़ा। 2009 में फिर सत्ता में लौटीं। तब से पीएम रहीं। शेख हसीना 1975 में घर से बाहर होने की वजह से बची थीं। 2004 में उनके ऊपर ग्रेनेड अटैक हुआ था। वे गंभीर रूप से हमले में घायल हुई थीं। लेकिन जान बच गई। इस हमले में 24 लोग मरे थे।
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