क्या है महिला आरक्षण कानून, जिसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिली
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महिला आरक्षण कानून 2023 बनने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। विधेयक को 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा से पारित किया गया था।
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33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान
29 सितंबर 2023 को बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी और टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कानून भारतीय समाज के 2 धड़ों के बीच लैंगिक न्याय की दिशा में सबसे परिवर्तनकारी क्रांति साबित होगा।
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राष्ट्रपति ने परिवर्तनकारी क्रांति बताया
वहीं कानून बनने के बाद अब राज्यों को भी इसे मंजूरी देनी होगी। अनुच्छेद 368 के तहत प्रावधान किया गया है। प्रावधान के अनुसार, देशभर में कानून तभी लागू होगा, जब 14 राज्य विधानसभा इसे पास कर देंगी।
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14 विधानसभा में पास होना जरूरी
दूसरी तरफ, अगर बिल 14 विधानसभाओं में पास हो जाता है तो भी इसे जनगणना के बाद ही लागू किया जाएगा। कोरोना काल के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी थी। अब 2024 लोकसभा चुनाव के बाद जनगणना होगी।
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जनगणना के बाद देश में लागू होगा
बता दें कि महिला आरक्षण बिल करीब 27 साल से लटका हुआ था। इसे करीब 8 बार संसद में पेश किया गया था, लेकिन हर बार रिजेक्ट हुआ। 9वीं बार मोदी सरकार ने इसे संसद में पास कराया।
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9वीं बार मोदी सरकार ने पास कराया
कानून के तहत संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटों में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होगी, लेकिन बिल से पिछड़े वर्ग की महिलाओं का फायदा नहीं होगा।
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एक तिहाई सीटे SCST कैटैगरी के लिए
कानून में SCST कैटेगरी की महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है, लेकिन पिछड़ी जातियों OBC कोटे को लेकर विवाद छिड़ा है और बसपा ने 33 नहीं 50 फीसदी आरक्षण की मांग की है।
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OBC कोटे को लेकर विवाद छिड़ा
बिल में OBC कोटे को आरक्षण की मांग करते हुए तर्क दिया गया कि देश की 60 प्रतिशत OBC आबादी के लिए बिल में संशोधन अवश्य किया जाना चाहिए। देश को पहला OBC प्रधानमंत्री भाजपा से आया।
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देश को पहला OBC प्रधानमंत्री मिल चुका
सरकार में 27 मिनिटर इसी समुदाय से हैं। 303 लोकसभा सांसदों में से 85 यानी 29% सांसद OBC हैं। देश में भाजपा के 1358 विधायकों में से 27% OBC हैं तो OBC महिलाओं को आरक्षण देने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
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लोकसभा में 85 सांसद OBC कैटेगरी से