बिस्मिल्लाह के मुरीद हो गए थे बाला साहब

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भारतीय शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान का आज जन्म दिवस है।

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बिस्मिल्लाह खान का असली नाम कमरुद्दीन खान था।

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बिस्मिल्लाह खान को उस्ताद के नाम से पुकारा जाता था।

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साल 1937 में उस्ताद को पहला ब्रेक ऑल इंडिया म्यूजिक कॉन्फ्रेंस ( कलकत्ता) के दौरान मिला था।

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बिस्मिल्लाह अफगानिस्तान, यूएसए, कनाडा, बांग्लादेश, ईरान, इराक,  वेस्ट अफ्रीका जैसे देशों में शहनाई वादन के लिए पहुंचे थे।

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बिस्मिल्लाह इतनी शिद्दत के साथ शहनाई को बजाते थे,  कि वह भारत के शास्त्रीय संगीत कलाकार बन गए थे। 

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साल 1947 को 15 अगस्त के दिन, जिस समय भारत देश अंग्रेजों की कैद से आजाद हुआ था, उस वक्त लाल किला पर उस्ताद ने परफॉर्म किया था। 

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बिस्मिल्लाह खान ने राजनेता बाला साहब ठाकरे को भी अपना मुरीद बना लिया था और उन्होंने 40 मिनट तक शहनाई बजाई थी। 

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उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जीवन बहुत सादा था,  वह एक साधारण व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी शहनाई की धुन से  अच्छे-अच्छों को दीवाना बनाया हुआ था।