कितने प्रकार के होते हैं Networking Device?
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राउटर का काम OSI Network मॉडल के तीसरे लेयर पर होता है। इसका काम पहले डाटा को पैकेट के रूप में बदलने और फिर राउटर तक पहुंचाने के साथ Routing Table और Routing Protocol का यूज करना है। इसके बाद ये डाटा को डेस्टिनेशन कंप्यूटर के राउटर के पास भेजने का काम करता है।
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Router
कई कंप्यूटर और नेटवर्क डिवाइस को हब जोड़ने का काम करता है। एक Hub में कई सारे port होते हैं जिसके जरिए डिवाइस को आपस में जोड़ा जा सकता है। ये OSI मॉडल के प्रथम लेयर पर काम करता है।
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Hub
हब की तरह ही नेटवर्क स्वीच होता है जिसे नेटवर्किंग डिवाइस कहा जाता है। इसका इस्तेमाल भी कई अन्य नेटवर्क डिवाइस और कंप्यूटर को आपस में जोड़ने का होता है। ये एक कंप्यूटर में दूसरे कंप्यूटर के जरिए डाटा सेंड करता है।
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Switch
एक जैसे प्रोटोकॉल वाले नेटवर्क को जोड़ने के लिए ये डिवाइस काम आता है। किसी कंप्यूटर में जब किसी नेटवर्क से किसी अन्य नेटवर्क का डाटा भेजा जाता है तो इस दौरान ये डाटा ब्रिज के पास पहुंचता है।
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Bridge
नेटवर्क में भी सिग्नल को पोस्ट करने के लिए रिपीटर नेटवर्किंग डिवाइस का इस्तेमाल होता है। नेटवर्क में दिक्कत आने पर ये सिग्नल को Regenerate करता है और इस स्ट्रेंथ और इंटेंसिटी को बढ़ाता है।
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Repeater
एक दूसरे से अलग प्रोटोकॉल वाले नेटवर्क को गेटवे जोड़ने का काम करता है। ये डिवाइस ट्रैफिक को नेटवर्क में जाने में सक्षम बनाता है।
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Gateway
ये एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसका इस्तेमाल माड्यूलेशन और डीमाड्यूलेशन से कंप्यूटर तक डाटा को पहुंचाने के लिए किया जाता है। डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिगनल में बदलने वाली विधि को माड्यूलेशन कहा जाता है।
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Modem
नेटवर्किंग में केवल को सबसे खास माना जाता है। इसके जरिए बड़े नेटवर्क को बनाना संभव होता है। बिना केबल के इंटरनेट नेटवर्क को बनाना मुमकीन नहीं है।
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Cable