सनातन धर्म में क्यों पहनते हैं जनेऊ, जानें धारण करने के नियम और महत्व
Image Credit : Google
जनेऊ सनातन धर्म की पहचान होती है, साथ ही जनेऊ धारण करने से द्विज बालक को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
Image Credit : Google
जनेऊ का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मल-मूत्र विसर्जन करने के दौरान जातक को जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए। साथ ही हाथ को धोकर ही उतारना चाहिए।
Image Credit : Google
जनेऊ धारण का नियम
मान्यता है कि जनेऊ कमर से ऊपर ही होना चाहिए साथ ही इसका कोई धागा नहीं टूटा होना चाहिए। साथ ही एक जनेऊ को 6 माह से अधिक समय तक नहीं पहनना चाहिए।
Image Credit : Google
6 माह में बदलें
शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के घर में जन्म या मरण होता है तो उस समय जनेऊ उतार देना चाहिए।
Image Credit : Google
जन्म-मरण के समय जनेऊ को बदल दें
मान्यता है कि जो जातक एक बार जनेऊ धारण करता है, उसे बाहर नहीं निकाला जाता है। बाहर निकालने से जनेऊ अशुद्ध हो जाता है। इसलिए निकालने के बाद आपको जनेऊ बदल लेनी चाहिए।
Image Credit : Google
शरीर से बाहर न निकाले जनेऊ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई बालक इन सभी नियमों का पालन करने योग्य हो जाते हैं, तभी उन्हें यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है।
Image Credit : Google
यज्ञोपवीत संस्कार
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो जातक जनेऊ धारण करता है, उन्हें बार-बार बुरे स्वप्न नहीं आते हैं। साथ ही वैसे सपनों से दूर भी रहते हैं।
Image Credit : Google
बुरे स्वप्न से बचाव