प्रेमानंद महाराज ने बताए भगवान की कृपा के 8 संकेत

Dipesh Thakur

जिसका उद्दार होना होता है उसे सत्संग मिलना शुरू हो जाता है। 

सत्संग

इसके बाद मनुष्य के मन में तीर्थ स्थल घूमने का विचार आता है। 

तीर्थ स्थल

तीर्थाटन के बाद इंसान में साधु-महात्माओं की सेवा करने का भाव जाग्रित होता है।

सेवा

साधु-महात्माओं की सेवा के साथ-साथ उनकी बातों को मानना भी सच्ची सेवा है।

सच्ची सेवा

संतों की कथा में रुचि आने से जीवन में सकारात्मकता आती है। 

कथा

संतों के प्रति आसक्ति यानी उनकी बातों को सुनने का मन होना। इससे मन पवित्र होता है। 

आसक्ति

सत्संग से मिलने वाले ज्ञान से मनुष्य का मन निर्मल हो जाता है। 

सत्संग