वास्तु शास्त्र में प्रत्येक दिशा का अलग-अलग महत्व है। जिस प्रकार पूरब दिशा के स्वामी सूर्य देव हैं, उसी तरह अन्य दिशाओं के स्वामी अलग-अलग ग्रह हैं।
वास्तु शास्त्र हर कार्य के लिए अलग-अलग दिशा है। दक्षिण दिशा जहां कुछ कार्यों के लिए शुभ है, वहीं इस दिन में कुछ कार्य निषेध माने गए हैं।
वास्तु शास्त्र के जानकारों के मुताबिक दक्षिण दिशा में कुछ पौधों को लगाने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा पर यम देव का आधिपत्य है। साथ ही इस दिशा के स्वामी मंगल ग्रह हैं। इसके अलावा इस दिशा में पृथ्वी तत्व की प्रधानता भी है।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र माना गया है। तुलसी का मां लक्ष्मी से संबंध होने के कारण इसे दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए।
शमी के पौधे का संबंध शनि देव से बताया गया है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक शमी के पौधे को दक्षिण दिशा में लगाने से बचना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मनी प्लांट का संबंध शुक्र देव से है। मनी प्लांट को कभी भी दक्षिण दिशा में लगाने की चेष्टा न करें, अन्यथा धन-हानि होगी।
सनातन धार्मिक परंपरा में केले के पौधे का संबंध बृहस्पति देव से बताया गया है। ऐसे में केले के पौधे को दक्षिण दिशा में कतई न लगाएं।
रोजमेरी का पौधा में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। ऐसे में अगर इसे दक्षिण दिशा में लगा देते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है।