फरमाइशों की लिस्ट में टॉप पर रहतीं पंकज उधास की ये गजलें

Deeksha Priyadarshi

गजल सम्राट पंकज उधास की मखमली आवाज अब मौन हो गई। उन्होंने 72 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।

मौन हुई मखमली आवाज

पंकज उधास की गजलों की दीवानगी कुछ इस कदर थी कि उनके एक चाहने वाले ने गजल सुनने के लिए उन्हें गन प्वाइंट पर रखा था और उन्हें बंदूक की नोक पर गाना पड़ा था।

बंदूक की नोक पर गाना पड़ा था 

केवल अमीर घरानों में ही नहीं, उनकी गजलें ऑटो से लेकर टैक्सी और बसों में भी सुनी और पसंद की जाती थी। पंकज उधास की गाई हुईं वो 10 गजलें, जिन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया गया।

पंकज उधास की 10 फेमस गजलें

जब पंकज उधास की फेमस गजल चिट्ठी आई है को डिनर पार्टी में राजकपूर ने पहली बार सुना था, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। उन्होंने उसी समय कहा था कि ये गाना बहुत बड़ा हिट होगा और हुआ भी वैसा ही।

चिट्ठी आई है सुनकर  इमोशनल हो गए थे राज कपूर 

चिट्ठी आई है के अलावा चांदी जैसा रंग है मेरा, न कजरे की धार, घूंघट को मत खोल और थोड़ी-थोड़ी पिया करो को भी लोगों ने खूब प्यार दिया।

टॉप प्लेलिस्ट में रही ये गजलें

1985 में जब सीडी का दौर आया तो पंकज की गजलों से ही सीडी का पहला एल्बम भारत में शुरू किया गया। 

पंकज की गीतों से शुरू हुआ भारत में सीडी एल्बम

चुपके-चुपके सखियों से वो बातें, आहिस्ता कीजिए बातें, निकलो न बेनकाब, दीवारों से मिलकर, एक तरफ उसका घर ऐसी गजलें बनीं, जिनकी फरमाइश उनसे हर महफिल में की जाने लगी।

हर महफिल में आई इन गजलों की फरमाइश

पंकज की बेटी नायाब उधास पिता की तरह संगीत की दुनिया से ताल्लुक रखती हैं। वो और उनके पति ओजस आधिया दोनों फेमस म्यूजिशियन हैं।

म्यूजिशियन हैं पंकज के बेटी-दामाद