पहली महावत समेत वो 34 गुमनाम शख्सियतें, जिन्हें मिला पद्मश्री
Khushbu Goyal
देश की पहली महिला महावत पार्वती बरुआ समेत 34 गुमनाम हस्तियों को 'पद्मश्री' पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है, देखें लिस्ट में कौन-कौन?
34 को अवार्ड
असम के गौरीपुर के राजघराने की पार्वती बरुआ को जानवरों खासकर हाथियों से काफी प्यार है। उन्होंने अपनी जिंदगी जानवरों की सेवा को समर्पित की है।
पार्वती बरुआ
चामी मुर्मू 28 साल में 28 हजार महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी हैं। इन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
चामी मुर्मू
छत्तीसगढ़ के जशपुर के सामाजिक कार्यकर्ता जागेश्वर यादव ने अपना जीवन आदिवासियों के उत्थान और सेवा को समर्पित किया है।
जागेश्वर यादव
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के सिंदरी गांव के आदिवासी पर्यावरणविद् दुखू माझी बंजर जमीन पर 5 हजार से ज्यादा बरगद, आम, ब्लैकबेरी के पेड़ लगा चुके हैं।
दुखू माझी
हरियाणा के सिरसा के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह ने बेघरों, निराश्रितों, महिलाओं, अनाथों, दिव्यांगजनों की भलाई के लिए काम किया है।
गुरविंदर सिंह
कर्नाटक के मैसूरु के जनजातीय कल्याण कार्यकर्ता सोमन्ना जेनु कुरुबा जनजाति के उत्थान के लिए 4 दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रहे हैं।
सोमन्ना
मिजोरम की संगथंकिमा, प्रेमा धनराज, उदय विश्वनाथ देशपांडे, यज्दी मानेकशा इटालिया, केरल के सत्यनारायण बेलेरी, अंडमान निकोबार की के चेल्लाम्मल, छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी
इन्हें भी मिला पद्मश्री
असम के सरबेश्वर बसुमतारी, बिहार से शांति देवी पासवान और शिवन पासवान, पश्चिम बंगाल के रतन कहार, बिहार के अशोक कुमार विश्वास, केरल के बालकृष्णन सदनम पुथिया वीटिल
ओडिशा के गोपीनाथ स्वैन, त्रिपुरा की स्मृति रेखा चकमा, मध्य प्रदेश के ओमप्रकाश शर्मा, केरल के नारायणन ई पी, ओडिशा के भगवत पधान, पश्चिम बंगाल के सनातन रुद्र पाल
तमिलनाडु के बदरप्पन एम, सिक्किम के जॉर्डन लेप्चा, मणिपुर के मचिहान सासा, तेलंगाना के गद्दाम सम्मैय्या, राजस्थान के जानकीलाल, तेलंगाना के दसारी कोंडप्पा, उत्तर प्रदेश के बाबू राम यादव, पश्चिन बंगाल के नेपाल चंद्र सूत्रधार