मां दुर्गा के कौन-कौन हैं नव अवतार, जानें हर एक स्वरूप का महत्व
नवरात्रि व्रत नव दिनों तक मनाए जाने वाला पर्व हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नव स्वरूपों की पूजा की जाती है। तो आइए नव स्वरूपों के बारे में जानते हैं।
मां दुर्गा के नौ रूप
मां दुर्गा के नव स्वरूपों में मां शैलपुत्री एक हैं। मां शैलपुत्री भगवान हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया था। शैल का मतलब पर्वत, यानी कि पर्वत की बेटी होने के नाते शैलपुत्री कहलाई।
मां शैलपुत्री
मां दुर्गा के दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी हैं। मां ब्रह्मचारिणी एक महान सती थी और पार्वती मां की स्वरूप भी हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां पार्वती के अविवाहित रूप की पूजा की जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा मां पार्वती का विवाहित स्वरूप हैं। मान्यता है कि जब भगवान शिव से उनका विवाह हुआ था तो मां पार्वती के माथे पर अर्धचंद्र सजाया हुआ था। इसी समय से उन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
मां चंद्रघंटा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां पार्वती ने सिद्धिदात्री रूप धारण करने के बाद सूर्य के केंद्र के अंदर रहना शुरू किया था ताकि पूरे ब्रह्मांड को सूर्य अपनी ऊर्जा दें सकें। उसी समय से मां पार्वती को कुष्मांडा कहा जाता है।
मां कुष्मांडा
ऐसी मान्यता है कि जब पार्वती मां भगवान कार्तिकेय की मां बनीं तो उस समय से उन्हें स्कंदमाता के रूप से जाना जाता है। मां स्कंदमाता इस रूप में मां शेर पर सवार रहती है। इसके साथ ही अपनी गोद में शिशु मुरुगन को भी रखी है।
माँ स्कंदमाता
मां पार्वती जब राक्षस महिषासुर का वध की, उस समय के बाद मां कात्यायनी के रूप में पूजे जाने लगी। मां का ये रूप सबसे ज्यादा उग्र रूप होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी को योधा देवी के नाम से भी जाना जाता है।
मां कात्यायनी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां पार्वती शुंभ और निशुंभ जैसे राक्षसों का वध किया तो उस समय से इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। कालरात्रि मां का रंग सांवला हैं।
मां कालरात्रि
कहा जाता है कि 16 साल की उम्र में देवी मां शैलपुत्री बहुत ही खूबसूरत थी और उनके सुंदर रूप को ही देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है।
मां महागौरी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां पार्वती भगवान शिव के बाएं भाग से प्रकट हुई थीं, तो उस स्वरूप को सिद्ध रात्रि के रूप से जाना जाता है। इसके साथ ही इस रूप को अर्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
मां सिद्धिदात्री