Navratri 2023 नवरात्रि में मां दूर्गा के इन नौ स्वरूपों की होती है पूजा

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इस साल नवरात्रि की 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक चलेगी। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।

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15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले रूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। हिमालयराज की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।  

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मां शैलपुत्री (Shailputri Maa)

मां नव दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी देवी है। मान्यता के मुताबिक घोर तपस्या के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। इस कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। 

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मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini)

मां दुर्गा का तीसरा स्वरुप माता चंद्रघंटा है। भगवान शंकर के मस्तक पर अद्धचंद्र घण्टे के रूप में सुशोभित हैं। इसी कारण इन्हें चंद्रघण्टा के नाम से जाना जाता है।

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मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta)

नवरात्रि में चौथे दिन नव दुर्गा के चौथे रूप माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें जगत जननी कूष्मांडा माता कहा जाता है। 

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मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda)

नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के 5वें स्वरूप को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इन्होंने शिव जी के पुत्र कार्तिकेय या स्कंद को जन्म दिया था, इसलिए इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। 

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मां स्कंदमाता (Maa Skandamata)

मां दुर्गा का छठा रूप देवी कात्यायनी है। कात्यायन ऋषि की साधना और तप से इनका जन्म हुआ था। इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा गया है।

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मां कात्यायनी (Maa Katyayani)

नवरात्रि के सातवें दिन माता के 7वें स्वरूप कालरात्रि का पूजन किया जाता है। माता दुर्गा के कालरात्रि रूप ने दैत्यों के नाश किया था।

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मां कालरात्रि (Maa Kalratri)

नवरात्रि के आठवें दिन माता दुर्गा के 8वें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि अति कठोर तप के कारण इनका रंग काला पड़ गया था। जिसके बाद भगवान शिव ने गंगा जल छिड़क कर इन्हें गौर वर्ण प्रदान किया। 

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मां महागौरी (Maa Mahagauri)

माता दुर्गा का यह 9वां और अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री है। इनके पूजन से भक्तों को सभी प्रकार के सुख, धन वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri)