सनातन धर्म में होते हैं 8 प्रकार के विवाह, जानें यहां

Ashutosh Ojha

8 प्रकार के विवाह 

सनातन धर्म में आठ प्रकार के मुख्य विवाह बताए गए हैं। इनमें ब्रह्म विवाह सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आइए जानते हैं अन्य विवाह के बारे में...

ब्रह्म विवाह

पहला विवाह ब्रह्म विवाह कहा जाता है। यह सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसमें पिता सुयोग्य वर तलाश कर उससे अपनी बेटी का  विवाह करवाता है।

देव विवाह

दूसरे नंबर पर है देव विवाह। इस विवाह में कन्या की सहमति से किसी सेवा, उद्देश्य के हेतु या मूल्य के रूप में कन्या को किसी विशेष वर को देना  'दैव विवाह' कहलाता है।

आर्श विवाह

इस विवाह में कन्या का मूल्य देकर शादी करना यानी दहेज देकर शादी करने को आर्श विवाह बोला जाता है, ये विवाह सनातन धर्म में तीसरे प्रकार का विवाह है।

प्रजापत्य विवाह

प्रजापत्य विवाह ब्रह्म विवाह का ही रूप है। इसमें कन्या की बगैर सहमति के उसके माता पिता शादी करा देते हैं। उसे प्रजापत्य विवाह कहते हैं।

असुर विवाह

पांचवें प्रकार के इस विवाह में कन्या को पिता से मूल्य देकर खरीदा जाता था, इसीलिए यह असुर विवाह कहलाता है।

गंधर्व विवाह

छठवें स्थान पर गंधर्व विवाह आता है। इसमें माता-पिता को बिना बताए ही वर-वधू विवाह कर लेते हैं।

राक्षस विवाह

7वें प्रकार के इस विवाह को निम्न कोटि का माना जाता है। इसमें कन्या की बगैर सहमति के उसका अपहरण कर विवाह किया जाता है।

पैशाच विवाह

8वें प्रकार के इस विवाह को निकृष्टतम विवाह कहा जाता है। इसमें लड़की के साथ धोखे से, बेहोशी की हालत में शारीरिक संबंध बनाने के बाद विवाह किया जाता है।