इस मंदिर में शिवजी को लगाया जाता है मदिरा का भोग
Image Credit : Google
वैसे तो भगवान शिव का भैरव स्वरूप रौद्र और तमोगुण प्रधान रूप है। लेकिन काल भैरव अपने भक्तों की पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए दौड़े चले आते हैं।
Image Credit : Google
शिवजी की भैरव स्वरूप
काल भैरव के इस मंदिर में मुख्य रूप से मदिरा का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारी भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को एक प्लेट में उढ़ेल कर भगवान के मुख से लगा देते हैं।
Image Credit : Google
काल भैरव मंदिर
Image Credit : Google
दिखता है चमत्कार
कहते हैं कि यह ऐसा चमत्कार है, जिसे देखने के बाद भी विश्वास करना एक बार के लिए कठिन हो जाता है। मदिरा से भरी हुई प्लेट पलभर में खाली हो जाती है।
जब भी किसी भक्त को मुकदमे में विजय हासिल होती है तो दरबार में आकर मावे के लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं। वहीं किसी भक्त की सूनी गोद भर जाती है तो बेसन के लड्डू और चूरमे का भोग लगाते हैं।
Image Credit : Google
होती है मनोकामाना पूरी
अघोरी जहां अपने ईष्टदेव की आराधना के लिए साल भर काल भैरों की कालाष्टमी की प्रतीक्षा करते हैं। वहीं सामान्य भक्त भी इस दिन उनका दर्शन कर सर झुकाकर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते।
Image Credit : Google
काल भैरव की होती है पूजा
उज्जैन शहर से आठ किलोमीटर दूर काल भैरव का यह मंदिर अवस्थित है। मान्यता है कि उज्जैन में महाकाल और काल भैरव दोनों के दर्शन करना जरूरी है।
Image Credit : Google
कहां है यह मंदिर
कहते हैं कि जो भक्त ऐसा नहीं करते, उन्हें महाकाल के दर्शन का लाभ प्राप्त नहीं होता। साथ ही उसे महाकाल का आशीर्वाद भी प्राप्त नहीं होता है।
Image Credit : Google
महाकाल और काल भैरव के दर्शन हैं जरूरी