इस मंदिर में शिवजी को लगाया जाता है मदिरा का भोग

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वैसे तो भगवान शिव का भैरव स्वरूप रौद्र और तमोगुण प्रधान रूप है। लेकिन काल भैरव अपने भक्तों की पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए दौड़े चले आते हैं।

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शिवजी की भैरव स्वरूप

काल भैरव के इस मंदिर में मुख्य रूप से मदिरा का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारी भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को एक प्लेट में उढ़ेल कर भगवान के मुख से लगा देते हैं।

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काल भैरव मंदिर

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दिखता है चमत्कार

कहते हैं कि यह ऐसा चमत्कार है, जिसे देखने के बाद भी विश्वास करना एक बार के लिए कठिन हो जाता है। मदिरा से भरी हुई प्लेट पलभर में खाली हो जाती है।

जब भी किसी भक्त को मुकदमे में विजय हासिल होती है तो दरबार में आकर मावे के लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं। वहीं किसी भक्त की सूनी गोद भर जाती है तो बेसन के लड्डू और चूरमे का भोग लगाते हैं।

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होती है मनोकामाना पूरी

अघोरी जहां अपने ईष्टदेव की आराधना के लिए साल भर काल भैरों की कालाष्टमी की प्रतीक्षा करते हैं। वहीं सामान्य भक्त भी इस दिन उनका दर्शन कर सर झुकाकर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते।

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काल भैरव की होती है पूजा

उज्जैन शहर से आठ किलोमीटर दूर काल भैरव का यह मंदिर अवस्थित है। मान्यता है कि उज्जैन में महाकाल और काल भैरव दोनों के दर्शन करना जरूरी है। 

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कहां है यह मंदिर

कहते हैं कि जो भक्त ऐसा नहीं करते, उन्हें महाकाल के दर्शन का लाभ प्राप्त नहीं होता। साथ ही उसे महाकाल का आशीर्वाद भी प्राप्त नहीं होता है। 

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महाकाल और काल भैरव के दर्शन हैं जरूरी