जन्माष्टमी व्रत के दौरान जरूर ध्यान रखें ये बात, मिलेगा लड्डू गोपाल का आशीर्वाद

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जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में रखा जाता है। अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।

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जन्माष्टमी कब है?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में इस साल रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से 7 सितंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।

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कब लगेगा रोहिणी नक्षत्र

जन्माष्टमी व्रत कब रखें?

ऐसे में इस साल 6 सितंबर की रात में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। साथ ही इसी दिन जन्माष्टमी का व्रत भी रखा जाएगा। वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे।

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जन्माष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद घर के मंदिर को साफ करके वहां देवी-देवताओं के समक्ष दीपक जलाएं।

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पूजा मंदिर में दीपक जलाएं

जन्माष्टमी पर अगर घर में पूजा करते हैं तो पूजा मंदिर में लड्डू गोपाल को स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाकर श्रृंगार करें और झूले में रखें। 

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लड्डू गोपाल को गंगाजल से करें अभिषेक

निराहार व्रत रखना है शुभ

जन्माष्टमी के दिन निराहार रहकर व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।

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जन्माष्टमी-भोग

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रसाद के रूप में दूध और माखन से बनी चीजों का इस्तेमाल करें। इस दिन लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है।

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लड्डू गोपाल की प्रिय चीजें

जन्माष्टमी पर कान्हा जी की पूजा के दौरान उन्हें तुलसी दल, माखन-मिश्री, खीरा, पंचामृत और गाय के दूध से तैयार खीर अर्पित करना शुभ है। ऐसे में इसका विशेष ध्यान रखें।