क्या है करवा चौथ का इतिहास और कैसे हुई इसकी शुरुआत

करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है। मगर क्या है इसका इतिहास और कैसे यह शुरू हुआ। आइए जानते हैं...

करवा चौथ का त्योहार

प्राचीन कथाओं के अनुसार करवा चौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है।

प्राचीन कथाओं के अनुसार

माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास और रक्षा की प्रार्थना की।

 देवताओं और दानवों

ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियां अपने-अपने प्रतियों के लिए व्रत रखें और उनकी विजय की कामना करें।

पतियों के लिए व्रत रखें

ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।

ब्रह्मदेव का सुझाव

ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई।

कार्तिक माह

इस अच्छी खबर को सुनकर सभी देवताओं की पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया।

अच्छी खबर

उस समय आसमान में चांद भी निकल आया था। माना जाता है कि इसी दिन से करवा चौथ के व्रत की परंपरा शुरू हुई।

करवा चौथ के व्रत की परंपरा शुरू हुई