आखिर क्या है सोलह श्रृंगार, जानें यहां-

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सोलह शृंगार विवाहित महिलाओं के लिए सजने-संवरने की चीजें होती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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सोलह श्रृंगार

गजरा फूलों की माला होती है, जो आमतौर पर चमेली से बनी होती है। गजरा को महिलाएं बालों के जूड़े और चोटी में लगाती हैं।

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गजरा

मांग-टीका सोने से बना एक आभूषण होता है, जिसे सुहागिन महिलाएं बालों के बीच यानी माथे पर लगाती हैं।

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मांग-टीका

सिंदूर सुहागन महिलाओं के लिए सबसे अहम होता है। मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की उम्र में वृद्धि होती है।

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सिंदूर

बिंदी सोलह श्रृंगार का एक हिस्सा है, बिंदी को महिलाएं माथे पर लगाती हैं। मान्यता है कि बिंदी वैवाहिक रिश्ते के प्रति समर्पण का प्रतीक होता है।

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बिंदी

काजल महिलाओं की आंखों को निखारने का काम करती हैं। मान्यता है कि जो महिलाएं काजल लगाती हैं, उसे बुरी नजर नहीं लगता है।

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काजल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नथ सुहाग की निशानी माना गया है। मान्यता है कि नथ किसी खास पर्व पर पहनना आवश्यक होता है।

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नथ

कान की बाली को कान में पहना जाता है। कहा जाता है कि कान की बाली शृंगार को पूरा करने के लिए पहना जाता है।

कान की बाली

मंगल सूत्र सोलह श्रृंगार का सबसे अहम और महत्वपूर्ण श्रृंगार होता है। मान्यता है कि मलंग सूत्र प्रतिबद्धता का प्रतीक होता हैं।

मंगल सूत्र

शरीर के ऊपरी बांह में बाजूबंद पहना जाता है। मान्यता है कि अधिकतर बाजूबंद मोती या हीरे से जड़ा होता है।

बाजूबंद

चूड़ियां विवाहित महिलाओं को एक स्पष्ट संकेत देती हैं। मान्यता है कि चूड़ियां पहनने से हाथों की शोभा बढ़ जाती हैं।

चूड़ियां

मेहंदी हाथों और पैरों में लगाई जाती है। यह हाथ और पैर की खूबसूरती निखारने का काम करती हैं।

मेहंदी

सोलह श्रृंगार में अंगूठी भी शामिल है। अंगूठी को महिला उंगलियों में धारण करती हैं। इसे धारण करने से हाथों की खूबसूरती बढ़ जाती है।

अंगूठियां

सोलह श्रृंगार में आलता को भी शामिल किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आलता को बेहद ही शुभ माना गया है, क्योंकि आलता सुहाग का प्रतीक होता है।

आलता

कमरबंद कमर के चारों ओर पहनने वाला एक सजावटी बेल्ट है। यह खासकर सुहागिन महिलाएं ही पहनती हैं। कमरबंद पहनने से कमर की शोभा बढ़ जाती है।

कमरबंद

पायल दोनों पैरों में पहनने वाला एक आभूषण होता है। यह सुहागिन महिलाओं के मुख्य शृंगार में आता है। इसे पहनने से पैरों की शोभा बढ़ जाती है।

पायल

बिछुआ सोलह शृंगार में शामिल है। यह पैरों की बाएं पैर की उंगलियों में पहना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिछुआ सुहाग का प्रतीक माना गया है।

बिछुआ