असली खगोलशास्त्री तो परिवार में ही होते हैं- एक मां जो बचपन में चांद दिखाती हं- दूसरे पापा जो एक थप्पड़ में सारा ब्रह्माण्ड दिखा देते हैं- तीसरी पत्नी जो दिन में तारे दिखाती है !! ये नासा-वासा तो सिर्फ़ भ्रम है..!! शादी के बाद ज़िंदगी "उत्तराखंड "हो जाती है.... जहां खूबसूरती तो है पर आपदाएं बहुत आती हैं....