महासमाधि लेकर आचार्य विद्यासागर ने कैसे त्यागे प्राण

Deeksha Priyadarshi

आचार्य विद्यासागर की महासमाधि लेने के बाद से जैन समाज की इस परंपरा की हर तरफ चर्चा हो रही है।

जैन समाज के परंपरा चर्चा में

सल्लेखना यानी महासमाधि को मुक्ति या मोक्ष के तौर पर देखा जाता है। इसी परंपरा के जरिए जैन मुनि आचार्य विद्यासागर ने अपना शरीर त्याग दिया।

महासमाधि लेने से मिलती है मुक्ति

दरअसल, किसी भी व्यक्ति द्वारा ये परंपरा उस समय अपनाई जाती है, जब व्यक्ति को यह लगने लगता है कि कुछ ही समय में उसकी मृत्यु हो जाएगी।

जब लगता है कि मृत्यु करीब है

वह व्यक्ति खुद ही अन्न और जल का त्याग कर देता है और मौन धारण कर लेता है। दिगंबर जैन शास्त्र के अनुसार में महासमाधि का जिक्र है, जिसके जरिए इंसान अपने प्राण त्याग करता है।

अन्न-जल का किया जाता है त्याग

महासमाधि वही इंसान ले सकता है, जिसने जीवन भर झूठ न बोला हो, कोई धन अर्जित न किया हो, अहिंसा और चोरी न की हो।

क्या हैं नियम