Deeksha Priyadarshi
सल्लेखना यानी महासमाधि को मुक्ति या मोक्ष के तौर पर देखा जाता है। इसी परंपरा के जरिए जैन मुनि आचार्य विद्यासागर ने अपना शरीर त्याग दिया।
दरअसल, किसी भी व्यक्ति द्वारा ये परंपरा उस समय अपनाई जाती है, जब व्यक्ति को यह लगने लगता है कि कुछ ही समय में उसकी मृत्यु हो जाएगी।
वह व्यक्ति खुद ही अन्न और जल का त्याग कर देता है और मौन धारण कर लेता है। दिगंबर जैन शास्त्र के अनुसार में महासमाधि का जिक्र है, जिसके जरिए इंसान अपने प्राण त्याग करता है।
महासमाधि वही इंसान ले सकता है, जिसने जीवन भर झूठ न बोला हो, कोई धन अर्जित न किया हो, अहिंसा और चोरी न की हो।