देसी घी या मक्खन...दोनों में क्या खाना बेहतर?
दूध की मलाई में ठंडे पानी को मिलाकर फेंटते हैं, जिससे मक्खन निकलता है। धीमी आंच पर कढ़ाई में कुछ मिनट पकाने से यह घी बन जाता है।
ऐसे बनते हैं दोनों
मक्खन को क्रीम और गाय के दूध में फैट कॉम्पोनेंट मिलाकर तैयार किया जाता है। बाजार में यह कई फ्लेवर्स में उपलब्ध है।
मक्खन के फ्लेवर्स
देसी घी में मक्खन की तुलना में ज्यादा विटामिन-A, ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटी कैंसर गुण, जीरो दूध प्रोटीन कैसिइन, दूध शुगर लैक्टोज होता है।
विटामिन से भरपूर
देसी घी 60% सैचुरेटेड फैट और जीरो ट्रांस फैट होता है। मक्खन 51% सैचुरेटेड फैट और 3 ग्राम ट्रांस फैट होता है।
जीरो फैट
देसी घी 900 किलो कैलोरी प्रति 100 ग्राम प्रदान करता है। मक्खन प्रति 100 ग्राम 717 किलो कैलोरी प्रदान करता है।
कैलोरी पॉवर
विटामिन-E, विटामिन-A, फास्फोरस, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन से भरपूर मक्खन सेल्स को फ्री रेडिकल्स से बचाता है।
सेल्स को फायदा
देसी घी में मिलने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दिल की बीमारियों से बचाव करते हैं। देसी घी 2 से लेकर 3 महीने सेव रख सकते।
2 से 3 महीने स्टोरेज
मक्खन को मौसम के हिसाब से फ्रिज में स्टोर रखने की जरूरत होती है। छोटे-छोटे टुकड़ों में करके बटर पेपर में लपेटकर रखें।
फ्रिज में स्टोरेज
देसी घी चुनें या मक्खन, यह तो आपका अपना फैसला है, लेकिन अगर आपको लैक्टोज हजम होता है तो देसी घी बेहतर है।
ऐसे करें सेलेक्शन
देसी घी में लैक्टोज और कैसिइन की मात्रा कम होती है। यह शरीर को गुड फैट देता है, जिससे कमजोरी नहीं होती है।
कमजोर नहीं करता