रुद्राक्ष कितने प्रकार के  होते हैं और उनके फायदे

Ashutosh Ojha

रुद्राक्ष की उत्पत्ति

पुराणों के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष का महत्व भी अलग होता है।  आइए जानते हैं...

एकमुखी रुद्राक्ष

भगवान शिव एकमुखी रुद्राक्ष के अधिष्ठाता हैं। यह रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है।

दो मुखी रुद्राक्ष

दोमुखी रूद्राक्ष को शिव और शक्ति का संयुक्त रूप माना गया है। यह एकता और सद्भाव लाता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष

ऐसा कहा जाता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसे धारण करने से तमाम शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

चार मुखी रुद्राक्ष

चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा जी का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में भी शिक्षा प्राप्ति के सभी रास्ते खुल जाते हैं।  

पांच मुखी रुद्राक्ष

कालाग्नि रुद्र देवता इस रुद्राक्ष के अधिष्ठाता हैं। यह हमारी आंतरिक जागरूकता को बढ़ाता है।

छह मुखी रुद्राक्ष

यह भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का ही रूप माना गया है। इसे धारण करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

सात मुखी रुद्राक्ष

सात मुखी रुद्राक्ष महालक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसेे धारण करने से आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है।

अष्टमुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष के अधिष्ठाता देवता भगवान गणेश हैं। यह समस्त बाधाओं को दूर करने में सहायक है।

नौ मुखी रुद्राक्ष

देवी दुर्गा इस रुद्राक्ष की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह धन, यश और कीर्ति प्रदान करने में लाभदायक है।

दस मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष के अधिष्ठाता देवता भगवान कृष्ण हैं। शास्त्रों के अनुसार यह सबसे शक्तिशाली रुद्राक्षों में से एक है।