मौसम बदलने पर होती हैं 8 समस्याएं, ऐसे करें बचाव

गर्मी से पतझड़ तक इंफेक्शन से फफूंद और रैगवीड बढ़ सकते हैं, जिससे एलर्जी हो सकती है। मौसम में बदलाव होने पर बाहर की एक्टिविटीज से बचें, खिड़कियां बंद रखें, एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करे और डॉक्टर से सलाह लेकर एंटीहिस्टामाइन लेकर एलर्जी से लड़ें। 

मौसमी एलर्जी

ठंडी हवा और बढ़ते सांसों के इंफेक्शन अस्थमा के लक्षणों को बढ़ सकते हैं। सांस लेने वाली हवा को गर्म रखने के लिए मास्क का यूज करें, इन्हेलर का प्रयोग करके अस्थमा के अटैक से बचाव करें। 

अस्थमा अटैक

बदलते मौसम के साथ-साथ इम्यूनिटी कमजोर कर सकता है, जिससे सर्दी और फ्लू हो सकता है। अच्छी हाइजीन रखें, हाथ वॉश करना, बीमार लोगों के संपर्क से बचें और मौसमी फ्लू का टीका लगाएं।

फ्लू और सर्दी 

सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और धूप कम होती है, कुछ लोगों को सीजनल डिसऑर्डर महसूस हो सकता है। सीजनल डिप्रेशन से राहत पाने के लिए घर से बाहर जाएं और धूप लें,नियमित रूप से व्यायाम करें। 

सीजनल डिप्रेशन

ठंड के मौसम में ड्राई और फटी स्किन हो जाती है। नमी रखने के लिए मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें, तेज गर्म पानी से नहाने से बचें और खूब सारा पानी पीकर अपने आपको हाइड्रेटेड रखें। 

रूखी स्किन

तापमान में बदलाव से जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है, खासकर गठिया से पीड़ितों में। एक्टिव रहकर, कम प्रेशर वाले व्यायाम करें, सप्लीमेंट लेकर जोड़ों के दर्द से बचाव करें। 

जोड़ों का दर्द

मौसम में बदलाव होने पर कुछ लोगों में माइग्रेन ट्रिगर कर सकता है। इससे बचने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट को फॉलो करें, भरपूर नींद लें और टाइम से दवाएं लेकर माइग्रेन से लड़े। 

माइग्रेन

कुछ लोगों में हार्मोनल बदलाव होने के कारण मूड में बदलाव और चिड़चिड़ापन का महसूस हो सकता है। नियमित नींद का टाइम बनाएं, अच्छी डाइट लें। इन सब की मदद से मूड स्विंग का मुकाबला करें। 

मूड चेंज होना