नवरात्रि की 9 देवियां: हर रूप का है अपना अलग महत्व

Ashutosh Ojha

नौ रूपों की पूजा

नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और मां के हर रूप का अपना अलग महत्व है। आइए जानते हैं...

प्रथम शैलपुत्री

सती के रूप में जानी जाने वाली ये माता दुर्गा का प्रथम स्वरूप है। ये मातृ शक्ति, इच्छा शक्ति और भौतिक सुखों की दात्री हैं।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्विनी। माता का यह स्वरूप ज्ञान, तपस्या और सदाचार का प्रतीक है।

तृतीय चंद्रघंटा

मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्र होने के कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। चंद्रघंटा शत्रु नाश, विजय प्राप्ति और साहस प्रदान करती हैं।

चतुर्थ कूष्मांडा

कूष्मांडा सृष्टि की रचना करने वाली आदि शक्ति हैं। यह देवी सृजनात्मकता, आशावाद और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।

पंचम स्कंदमाता

कार्तिकेय की माता स्कंदमाता मातृत्व और वात्सल्य का प्रतीक हैं। यह देवी सन्तान प्राप्ति, मातृत्व सुख और शत्रु विनाश का आशीर्वाद देती हैं।

षष्ठम कात्यायनी

महर्षि कात्यायन के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुईं कात्यायनी तेजस्वी रूप हैं। ये विजय प्राप्ति, शत्रु नाश और बल प्रदान करती हैं।

सप्तम कालरात्रि

कालरात्रि भयंकर रूप वाली देवी हैं, जो अंधकार का नाश करती हैं। ये देवी भय और नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता प्रदान करती हैं।

अष्टम महागौरी

महागौरी का अर्थ है ‘अत्यंत उज्ज्वल’। ये देवी शांति और सौम्यता का प्रतीक हैं। महागौरी सकारात्मकता, शुद्धता, सौंदर्य और सौभाग्य प्रदान करती हैं।

नवम सिद्धिदात्री

नवरात्र के अंतिम दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी उपासना से हर प्रकार की सिद्धि, धन-धान्य, समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है।

बेहद लकी होते हैं  7 मूलांक वाले लोग