उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती का एक मेहनती प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारी अमरोहा के दो दोस्त जो जिंदगी की आखिरी सवारी एक साथ कर गए. शामली का 19 साल का दुकानदार जो अपने परिवार के छह लोगों का सहारा था. एक नौजवान कैब ड्राइवर जिसकी नौकरी को आज सिर्फ 10 दिन हुए थे और एक फार्मासिस्ट जो घर जल्दी निकला था सिर्फ अपने परिवार के साथ डिनर करने के लिए. लेकिन वहां कभी पहुंच ही नहीं सका. सोमवार की शाम कुछ ही सेकंड में 12 जिंदगियां खत्म हो गई. लाल किले के पास एक कार धमाके ने सब कुछ छीन लिया. आइए जानते हैं सबकी कहानियों के बारे में. पहला है दिनेश मिश्रा. दिल्ली की भीड़भाड़ में सपनों की तलाश में आया एक आम इंसान. श्रावस्ती जिले के गणेशपुर गांव का 35 वर्षीय दिनेश मिश्रा जो नई सड़क की एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करता था. 4 साल में उसने अपनी जिंदगी को एक सादगी भरी स्थिरता दी थी. मेहनत, परिवार और उम्मीदों से भरी. लेकिन सोमवार शाम करीब 7:00 बजे जब वह कश्मीरी गेट से घर लौट रहा था. लाल किले के पास हुए धमाके ने सब कुछ छीन लिया. उसके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. सुनिए परिजनों ने क्या कहा.
अशोक कुमार और लोकेश कुमार. अमरोहा के हसनपुर इलाके के दो बचपन के साथी अशोक कुमार और लोकेश कुमार अब सिर्फ तस्वीरों में साथ दिखते हैं. दोनों की दोस्ती मिसाल थी. एक ऐसा रिश्ता जो खून से नहीं दिल से जुड़ा था. अशोक कुमार दिल्ली में डीटीसी बस में कंडक्टर थे. वहीं लोकेश कुमार हसनपुर कस्बे में प्रॉपर्टी का काम करते थे. अस्पताल से निकलते वक्त अशोक ने फोन किया. चलो मिल लेते हैं. साथ में खाना खाते हैं. दोनों लाल किले के पास पहुंचे ही थे कि अचानक एक तेज धमाका हुआ. धमाका इतना जबरदस्त था कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. इस हादसे ने अशोक के पूरे परिवार को तोड़ दिया.









