प्रयागराजः सुमित कुमार और उसके भाई पुनीत कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी। दोनों भाइयों ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनके खिलाफ एक मामले में समझौता करने के लिए दबाव बनाया और इसके लिए बड़ी संख्या में धोखाधड़ी और झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के दलित परिवार के सदस्यों के खिलाफ “झूठे मामले” दर्ज करने के आरोपी 35 पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
छह सितंबर को आया था आदेश
जानकारी के मुताबिक 6 सितंबर के आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वाइज मियां ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और एससी आयोग द्वारा इस मामले का संज्ञान लिया गया था। याचिका में अपहरण और अपहरण के मामले में इस साल 24 मार्च को दर्ज मुकदमा रद्द करने की मांग की गई थी। साथ ही इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की भी मांग की।
जान से मारने की कोशिश की, फिर उल्टा मुकदमा कर दिया
याचिका के अनुसार प्रेम सिंह और एक अन्य व्यक्ति ने 4 अक्टूबर, 2013 को पुनीत कुमार को मारने की कोशिश की थी। तब पुनीत की मां माया देवी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय पुनीत के भाई सुमित पर गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दिया।
आरोपियों ने उसी थाने में दर्ज कराया मुकदमा
माया देवी ने तब हाईकोर्ट का रुख किया। उसकी शिकायत के आधार पर 4 अक्टूबर 2013 की घटना में हत्या के प्रयास, दंगा और आपराधिक साजिश के लिए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। जबकि अदालत के आदेश पर मथुरा के हाईवे थाने में एक मुकदमा दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पुलिस अधिकारियों ने आरोपी व्यक्तियों की मिलीभगत से उनके और माया देवी के खिलाफ उसी थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया। इस पर हाईकोर्ट ने अब सख्त आदेश जारी किया है। वहीं आदेश के बाद मथुरा पुलिस में हड़कंप मच गया है।