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Joshimath Sinking: अलर्ट मोड पर Indian Army, जोशीमठ में हेलिकॉप्टर के साथ किया अभ्यास, जानें पूरा प्लान

Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) में आए संकट से निपटने के लिए हर कोई अपने-अपने स्तर से संघर्ष कर रहा है। ऐसे में भारतीय सेना (Indian Army) ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। हाल ही में सेना ने हेलिकॉप्टर की मदद से राहत एवं बचाव कार्य का अभ्यास किया। बताया गया है कि सेना […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Jan 17, 2023 11:53
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Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) में आए संकट से निपटने के लिए हर कोई अपने-अपने स्तर से संघर्ष कर रहा है। ऐसे में भारतीय सेना (Indian Army) ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। हाल ही में सेना ने हेलिकॉप्टर की मदद से राहत एवं बचाव कार्य का अभ्यास किया। बताया गया है कि सेना को अलर्ट मोड पर किया गया है।

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दर्गम मौसम में सीमा की रक्षा के साथ होती है गश्त 

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया है कि उत्तराखंड में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के साथ-साथ दुर्गम मौसम और पहाड़ों में भारतीय सेना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अत्यधिक ठंड का सामना करते हुए चीनी के किसी भी आक्रमण से देश की सीमाओं को रक्षा रखने के लिए लगातार गश्त भी करते हैं।

सेना ने की पूरी तैयारी

ताजा जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र जोशीमठ के लोग संकट में हैं। यहां जमीन ने धंसना शुरू कर दिया है। ऐसे में भारतीय सेना बचाव कार्य के लिए तैयार है। बता दें कि जोशीमठ की अधिकांश इमारतों में दरारें पड़ चुकी हैं। भारतीय सेना सीमा पर निगरानी के साथ अब डूबते शहर में बचाव के लिए जुट गई है।

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इतनी इमारतें हैं प्रभावित, ये लोग निकाले गए

जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण 782 इमारतें प्रभावित हुई हैं। इनमें से 148 इमारतें ऐसी हैं, जिन्हें पूरी तरह से असुरक्षित चिह्नित किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से अब तक 223 परिवारों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है। जोशीमठ के पास औली में भी राहत और बचाव अभियान की तैयारी चल रही है।

इसके साथ ही किसी भी बड़ी आपदा से निपटने के लिए सेना ने एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, जो प्रभावित क्षेत्र के से पल-पल की रिपोर्ट ले रहा है।

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सेना के आपदा प्रबंधन के लिए बनाई चार टीमें

  • QRT (क्विक रिस्पांस टीम) जो प्रभावित क्षेत्र की सटीक जानकारी मिलने के बाद कंट्रोल स्टेशन को सूचित करती है।
  • बचाव दल (राहत दल) और धरना दल (घेराबंदी दल), प्रभावित इलाकों में खोज के बाद घायलों को निकालता है।
  • विशिष्ट दल, इसमें पर्वतारोहियों को शामिल किया गया है।
  • मेडिकल टीम, जो मौके पर ही तत्काल इलाज मुहैया कराती है।

केदारनाथ आपदा में गई थीं सैकड़ों जानें

जानकारी के मुताबिक मई 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान राहत और बचाव के अभाव में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में औली के दुर्गम पहाड़ों में सेना के जवानों को आने वाले दिनों में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए विशेष बचाव अभियान का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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First published on: Jan 16, 2023 04:24 PM
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