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परिवार की बेरहमी से हत्या करने वालों को वाराणसी कोर्ट ने दी ऐसी सजा, कांप गई रूह, पीड़ित बोले-अब न्याय मिला

Varanasi News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में बेनिया बाग के पुराने कब्रिस्तान में शाहिद ने अपने परिवार वालों की कब्रों पर चिराग चलाए। ये दिन शाहिद के लिए आम दिनों जैसा नहीं था, क्योंकि इन कब्रों में दफन उसके परिवार के चार सदस्यों की रूहों को आज कुछ सुकून मिला। शाहिद ने […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Oct 17, 2022 11:48
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(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Varanasi News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में बेनिया बाग के पुराने कब्रिस्तान में शाहिद ने अपने परिवार वालों की कब्रों पर चिराग चलाए। ये दिन शाहिद के लिए आम दिनों जैसा नहीं था, क्योंकि इन कब्रों में दफन उसके परिवार के चार सदस्यों की रूहों को आज कुछ सुकून मिला।

शाहिद ने बताया कि आज से दस साल पहले इन चार लोगों की बेरहमी से हत्या की गई थी। 10 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 14 अक्टूबर को वाराणसी जिला कोर्ट ने मोहम्मद शाहिद के परिवार के चार लोगों की हत्या के आरोपी तीन लोगों को मौत और एक महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

यह फैसला मेरे लिए जीत का पहला कदम है

शाहिद ने बताया कि मुझे पता है, आरोपी उच्च न्यायालयों में आदेश को चुनौती दे सकते हैं, लेकिन मेरे लिए यह जीत का पहला कदम है, इसलिए हमने अपने परिवार के सदस्यों की कब्रों पर विशेष प्रार्थना की है। बता दें कि शाहिद वर्ष 2012 में हुए सनसनीखेज हत्याकांड का प्रमुख गवाह है।

कब्रिस्तान पर फूल बेचते थे पीड़ित

शाहिद ने बताया कि हमारा संयुक्त परिवार था। हम अपने घर के पास कब्रिस्तान में फूल बेच कर परिवार का खर्चा चलाते थे। 16 जून, 2012 की शाम को परिवार के लोग एक साथ बैठकर चाय पी रहे थे। रात आठ बजे तक सब कुछ ठीक था। फिर पड़ोसियों ने अचानक परिवार को गाली देना शुरू कर दिया। हम किसी भी बड़ी घटना से अनजान थे।

घर से बाहर निकले तो हो गया हमला

परिवार के मोहम्मद शफीक (50), मोहम्मद शकील (45), मोहम्मद कामिल (43) और चांद रहीमी (20) ने घर से बाहर निकल कर देखा कि आखिर मामला क्या है। शाहिद ने बताया कि परिवार के लोग कुछ समझ पाते इससे पहले आरोपियों ने उन पर डंडों से हमला किया। हमले में चारों लोग इतनी बुरी तरह से घायल थे कि दो ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दो की अस्पताल में मौत हो गई।

शाहिद की टूटी थीं पसलियां

वह किसी तरह से भागने में सफल रहा। हमले में उसके भी गंभीर चोटें आईं। पसलियां टूट गईं। शाहिद ने बताया कि सब मेरी आंखों के सामने हुआ। उसे अफसोस है कि वह किसी को बचा नहीं पाया। उस दिन की घटना के बाद से आज तक वह ठीक से सो नहीं पाया है। उसने कहा कि कब्रिस्तान की जमीन पर अतिक्रमण करने का विरोध करने पर परिवार के चार लोगों की हत्याकर दी जाएगी, उसने कभी सोचा नहीं था। इस हत्याकांड में शाहिद ने अपने दो बड़े भाइयों, एक युवा भतीजे और एक चचेरे भाई को खो दिया।

First published on: Oct 17, 2022 11:48 AM

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