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Nikay Chunav 2022: योगी सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनाया OBC आयोग, HC ने रद्द की थी आरक्षण की अधिसूचना

मानस श्रीवास्तव (लखनऊ): उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नगरीय निकाय चुनाव (Nikay Chunav 2022) में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर प्रदेश सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग गठन (OBC Commission) की घोषणा की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह (Retd Justice Ram Avtar Singh) करेंगे। बता दें कि हाईकोर्ट […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Dec 29, 2022 11:50
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Yogi Adityanath

मानस श्रीवास्तव (लखनऊ): उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नगरीय निकाय चुनाव (Nikay Chunav 2022) में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर प्रदेश सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग गठन (OBC Commission) की घोषणा की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह (Retd Justice Ram Avtar Singh) करेंगे। बता दें कि हाईकोर्ट ने बिना आरक्षण के निकाय चुनाव कराने का फैसला दिया था।

छह माह तक रहेगी ओबीसी आयोग की अवधि

जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के शहरी विकास विभाग की ओर से जारी आयोग गठन की अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि आयोग की अवधि पदभार ग्रहण करने के दिन से छह महीने तक के लिए होगी। बता दें कि आयोग का गठन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ की ओर से निकाय चुनावों के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी आरक्षण अधिसूचना को रद्द करने और ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश एक दिन बाद किया गया है।

ये हैं आयोग के अध्यक्ष और सदस्य

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ओबीसी आरक्षण के बारे में बताया कि सरकार विशेषज्ञों से परामर्श के बाद अंतिम फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी।

सरकार की ओर से बनाए गए ओबीसी आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को बनाया गया है। जबकि अन्य सदस्यों में रिटायर्ड आईएएस चोब सिंह वर्मा और महेद्र कुमार शामिल हैं। पूर्व विधि परामर्श विशेषज्ञ संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर जिला जज ब्रजेश कुमार सोनी को भी इसका सदस्य बनाया गया है।

आरक्षण अधिसूचना को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती

आपको बता दें कि यूपी सरकार की ओर से राज्य में नगरीय निकाय चुनावों को लेकर आरक्षण की अधिसूचना 5 दिसंबर को जारी की गई थी, जिसके बाद अधिसूचना को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गईं। काफी याचिकाओं और राज्य सरकार के पक्ष को सुनने का बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इसी शनिवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। अदालत ने अपने 87 पेज के निर्णय में कहा था कि ट्रिपल टेस्ट के बगैर निकाय चुनाव में आरक्षण लागू न किया जाए।

सीएम योगी ने कहा था, सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं

27 दिसंबर को लखनऊ खंड पीठ ने फैसले को सुनाया। फैसले के मुताबिक हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना को रद्द करते हुए तुरंत चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ट्वीट में लिखा है, ‘उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी।

इसके उपरांत ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को संपन्न कराया जाएगा।’ सीएम ने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘यदि आवश्यक हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।’

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साधा था निशाना

वहीं इस पूरे मामले पर प्रदेश की अन्य पार्टियां भी नजर बनाए हुए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से भी एक ट्वीट किया गया है। इसमें लिखा गया है, ‘आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना है, कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछडों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील है।’

First published on: Dec 28, 2022 08:20 PM
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