Umesh Pal Case: अतीक के भाई अशरफ का दावा, कहा- मुझे 2 सप्ताह में जेल से बाहर ले जाकर मार दिया जाएगा

Umesh Pal Case: 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण मामले में मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बाहुबली अतीक के भाई अशरफ को बरी कर दिया।

Umesh Pal Case: 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण मामले में मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बाहुबली अतीक के भाई अशरफ को बरी कर दिया। फैसले के बाद अशरफ को प्रयागराज से बरेली जेल लाए जाने के दौरान उसने कहा कि मुझे एक अधिकारी ने धमकी दी है कि मुझे 2 सप्ताह में जेल से बाहर ले जाया जाएगा और मार दिया जाएगा।

अशरफ ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसके दर्द को समझते हैं क्योंकि उनके खिलाफ फर्जी मामले भी दर्ज किए गए थे। अशरफ ने कहा कि मुझ पर लगाए गए आरोप फर्जी हैं। सीएम मेरा दर्द समझते हैं क्योंकि उनके खिलाफ भी फर्जी मामले दर्ज किए गए थे।

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अशरफ बोले- मैं अधिकारी का नाम नहीं बता सकता

अशरफ ने कहा, “यह धमकी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी थी। मैं उनका नाम नहीं बता सकता, लेकिन अगर मुझे मार दिया गया तो बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश के पास पहुंच जाएगा, इसमें उनका नाम होगा।”

बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को अतीक अहमद उमेश पाल के अपहरण मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अशरफ को बरेली जेल जबकि अतीक को गुजरात की साबरमती जेल भेज दिया गया है। ये पहली बार है कि अतीक अहमद को किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। अदालत ने दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई और तीनों दोषियों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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अशरफ समेत 7 अन्य को किया बरी

इस मामले में अतीक अहमद के भाई अशरफ समेत सात अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है। बसपा विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को हत्या कर दी गई थी। दो अन्य देवीलाल पाल और संदीप यादव की भी हत्या कर दी गई थी। बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में एक वकील और मुख्य गवाह उमेश पाल की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को अपहरण कर लिया गया था। इस दौरान उमेश पाल की पिटाई की गई थी और कई तरह की यातनाएं दी गई थी। अतीक ने 1 मार्च, 2006 को उमेश पाल को अपने पक्ष में एक लिखित बयान देने के लिए मजबूर किया कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और गवाही नहीं देना चाहते थे।उमेश पाल ने उस साल उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनने के बाद जुलाई 2007 में धूमनगंज थाने में अपहरण का मामला दर्ज कराया था।

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