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Joshimath Sinking Update: विशेषज्ञों ने जताई बड़ी चिंता, बोले- हिमालय क्षेत्र को तत्काल घोषित करें संवेदनशील, वरना…

Joshimath Sinking Update: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) डूब रहा है। लोगों को शहर से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। इसके साथ ही जोशीमठ के आसपास सभी निर्माण गतिविधियों को रोक लगा दी गई है। कई इमारतों में दरारें काफी चौड़ी होने के बाद उन पर लाल निशान लगा दिए गए […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Jan 30, 2023 11:05
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Joshimath Sinking Update: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) डूब रहा है। लोगों को शहर से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। इसके साथ ही जोशीमठ के आसपास सभी निर्माण गतिविधियों को रोक लगा दी गई है। कई इमारतों में दरारें काफी चौड़ी होने के बाद उन पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। इन्हें ध्वस्त किया जा रहा है, लेकिन जोशीमठ के विशेषज्ञों का कहना है कि आपदा को रोकने के लिए ये कदम नाकाफी हैं।

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इस संस्था ने आयोजित किया बड़ा सम्मेलन

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ संकट (Joshimath Sinking Update) को लेकर स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) की ओर से आयोजित ‘इमीनेट हिमालयन क्राइसिस’ विषय पर एक गोलमेज सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया। इसमें विशेषज्ञों ने मांग की कि हिमालय (Himalaya Mountain) को एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाए।

अभी और भी पहाड़ी शहरों में बिगड़ेंगे हालात!

मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को अपर्याप्त करार देते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि जोशीमठ के डूबने से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नैनीताल, मसूरी और गढ़वाल के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की स्थिति पैदा हो सकती हैं।

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हिमालय क्षेत्र के लिए की ये मांग

उन्होंने सरकार से जमीन धंसने के मुद्दे को हल करने के लिए दीर्घकालिक उपायों पर विचार करने को कहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि हिमालय को एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित करें। तबाही मचाने वाली सभी बड़ी परियोजनाओं को विनियमित करें।

पर्यटकों की संख्या का रखें हिसाब

सम्मेलन में कहा गया कि यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड की क्षमता का विस्तृत विश्लेषण और अध्ययन किया जाना चाहिए। इन स्थानों पर आने वाले पर्यटकों की संख्या का हिसाब रखा जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पर्यटकों की संख्या पर्यावरण पर असर न डाले।

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…तो इससे हो गए पहाड़ नष्ट

इस विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि चारधाम मार्ग के निर्माण के लिए जोशीमठ की तलहटी में पहाड़ को किस तरह से काटा गया था। कैसे बिना उचित हाइड्रोजियोलॉजिकल अध्ययन के एनटीपीसी ने पहाड़ के बीच में एक सुरंग खोद दी, जिससे यह पहाड़ नष्ट हो गया।

निर्माण और स्वच्छता भी बना बड़ा कारण

जोशीमठ में यह भी देखा गया है कि ऊंचे-ऊंचे होटलों और भवनों के निर्माण के कारण स्वच्छता प्रभावित हुई है। इसके कारण जोशीमठ और ज्यादा अस्थिर और बोझिल हो गया है। उन्होंने कहा कि इन सबके कारण आज जोशीमठ के आसपास का पूरा इलाका धंस रहा है। इसे बचाने का कोई और तरीका नहीं है।

सही कारण की अभी भी खोज जारी

बता दें कि जोशीमठ में जमीन धंसने का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह अनियोजित निर्माण, जनसंख्या, पानी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा और पनबिजली गतिविधियों के कारण हो सकता है।

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First published on: Jan 29, 2023 06:22 PM

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