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अजमेर का ‘चौधरी’ कौन? भाजपा के भागीरथ या कांग्रेस के रामचंद्र, जानें किसके हाथ लगेगी बाजी?

Ajmer LokSabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में अजमेर सीट पर इस बार मुकाबला दो जाटों के बीच है। अब देखना यह है कि दोनों में बाजी किसके हाथ लगती है। इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग होगी।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Apr 24, 2024 11:08
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अजमेर में भागीरथ चौधरी और रामचंद्र चौधरी में मुकाबला

Rajasthan Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजस्थान में दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होना है। इस पहले दूसरे चरण को लेकर प्रचार का शोर आज शाम 5 बजे तक थम जाएगा। राजस्थान में दूसरे चरण में 12 सीटों पर वोटिंग होगी। इसमें से एक सीट है अजमेर। अजमेर से भाजपा ने दो बार के सांसद भागीरथ चौधरी को दूसरी बार मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने डेयरी व्यापारी रामचंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा के जाट के जवाब में कांग्रेस ने जाट चेहरे को मौका दिया है। ताकि जाट वोटों को बांटकर कांग्रेस इस सीट को अपनी झेाली में डाल सके।

अजमेर सीट से परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ रही है। इस सीट पर भाजपा को हमेशा से सिंधी, जाट और ओबीसी वोटर्स का सपोर्ट मिलता रहा है। ऐसे में भाजपा के लिए इस सीट से इस बार भी कोई मुश्किल नहीं होने वाली है। पीएम मोदी ने आज से ठीक 20 दिन पहले पुष्कर में एक जनसभा को संबोधित किया था। इसमें लाखों की भीड़ जुटी थी। ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इस सीट पर भी पिछली बार की तरह ही बड़े अंतर से जीत सकती है।

सभाओं और रैलियों के बीच आज प्रचार का आखिरी दिन है। इससे पहले कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी के लिए पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, धर्मेंद्र राठौड़, गोविंद सिंह डोटासरा, अशोक गहलोत समेत कई नेता प्रचार करने आ चुके हैं। वहीं भागीरथ चौधरी के लिए अब तक भाजपा के सबसे बड़े चेहरे पीएम मोदी स्वयं एक रैली कर चुके हैं। कुल मिलाकर सियासी चौसर बिछ चुकी है।

भागीरथ चौधरी तोड़ना चाहेंगे एक हार एक जीत का फाॅर्मूला

भाजपा के भागीरथ चौधरी राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। पहली बार वे 2003 के विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से चुनाव लड़े और कांग्रेस के नाथूराम सिनोदिया को हराया। 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया वे उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके। 2013 में भागीरथ तीसरी बार प्रत्याशी बने इस बार उन्होंने एक बार फिर नाथूराम को हराया। 2018 में पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें रामस्वरूप लांबा की जगह चुनाव में उतारा। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रिजु झुनझुनवाला को बड़े अंतर से हराया। बता दें कि पार्टी ने उनको 2023 के विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ सीट से प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें भाजपा से कांग्रेस में गए विकास चौधरी ने बड़े अंतर से पजजित किया था।

रामचंद्र एक भी चुनाव नहीं जीते

वहीं कांग्रेस के रामचंद्र चौधरी ने 1990 में अजमेर की मसूदा सीट से पहला चुनाव लड़ा। इसके बाद 1998 में भिनाय सीट से चुनाव लड़ा। 2008 में पार्टी ने एक बार फिर उन्हें मौका दिया लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं 2013 में वे निर्दलीय ताल ठोंककर मैदान में उतरे। इस बार भी वे हार गए। कुल मिलाकर रामचंद्र अभी तक 4 चुनाव हार चुके हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव उनका पांचवां चुनाव है। ऐसे में इस बार देखना होगा कि उनके सितारे कितने बुलंद है। वैसे रामचंद्र चौधरी अजमेर सरस डेयरी में पिछले 30 सालों से काबिज हैं। वे सरस डेयरी अजमेर के अध्यक्ष हैं।

अब बात करते हैं जातीय समीकरण की

अजमेर में जाट, गुर्जर, रावत, सिंधी, मुस्लिम, माली बड़े वोट बैंक है। इसके अलावा 22 फीसदी एससी वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। दोनों प्रत्याशियों के जाट होने के चलते जाट वोटर्स का बंटना तय है। वहीं गुर्जर वोट बैंक हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में रहा है लेकिन चुनाव में मजबूत प्रत्याशी के पक्ष में उनका वोट जाता है। ऐसे में गुर्जरों का वोट भाजपा को जा सकता है। सिंधी शुरुआत से ही भाजपा के परंपरागत वोटर्स रहे हैं। माली वोट बैंक कांग्रेस के समर्थन में रहा है। ऐसे में 22 फीसदी एससी वोटर्स निर्णायक हो सकते हैं।

राजस्थान में रिवाज रहा है कि जिसकी सरकार उसकी ओर एससी वोटर्स जाते हैं ऐसे में एससी समुदाय का भाजपा को समर्थन मिल सकता है। वही मुस्लिम परंपरागत रूप से कांग्रेस के समर्थक रहे हैं। इस सीट पर 48 प्रतिशत सवर्ण वोट भी है जो कि हमेशा से भगवा पार्टी के साथ रहते आए हैं। कुल मिलाकर जातीय समीकरणों में 50-50 का समीकरण है।

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First published on: Apr 24, 2024 10:50 AM

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