Thursday, 18 April, 2024

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आपसी सहमति से बने संबंधो में नाबालिग लड़की बनी मां, कोर्ट ने FIR रद्द करते हुए कहा- ऐसे मामलों से मुंह नहीं मोड़ सकती अदालत

Jodhpur: राजस्थान के जोधपुर जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। जिले में एक 16 साल की लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने और उसके बाद मां बनने के मामले में हाईकोर्ट ने प्रेमी के खिलाफ दर्ज पॉक्सो का मामला रद्द करने का आदेश दिया है। युवक पर 16 साल लड़की के साथ संबंध […]

Edited By : Nirmal Pareek | Updated: Nov 29, 2022 22:15
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Rajasthan High Court order
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Jodhpur: राजस्थान के जोधपुर जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। जिले में एक 16 साल की लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने और उसके बाद मां बनने के मामले में हाईकोर्ट ने प्रेमी के खिलाफ दर्ज पॉक्सो का मामला रद्द करने का आदेश दिया है। युवक पर 16 साल लड़की के साथ संबंध बनाने और एक बच्चे के जन्म होने के बाद पुलिस ने पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था।

इस मामले पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि बेकाबू भावनाओं और नासमझी में दो लोगों के बीच बने संबंधों में बात इतनी बढ़ गई कि एक बच्चा पैदा हो गया, जबकि दोनों में से एक नाबालिग है। बता दें कि बीते 4 अगस्त को एक 16 साल की नाबालिग को पेटदर्द की शिकायत होने के बाद डॉक्टरों ने प्रेग्नेंट बताया था और कुछ दिनों बाद उसने बेटे को जन्म दिया था।

वहीं नाबालिग के बेटे को जन्म देने के बाद पुलिस ने नाबालिग के बयान लिए। पुलिस के मुताबिक नाबालिग ने बताया कि उसका 22 साल के युवक के साथ अफेयर था जहां आपसी सहमति दोनों ने फिजिकल रिलेशन बनाए और वह प्रेग्नेंट हो गई। इसके बाद पुलिस ने युवक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में रेप का मामला दर्ज किया था।

दोनों के परिवार पहले ही रजामंद, याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गजेंद्र पंवार ने कहा कि याचिकाकर्ता और नाबालिग के बीच प्रेम संबंध थे। इससे नाबालिग गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। इस मामले में पीड़िता और उसके परिजनों की तरफ से कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई। इसके बाद भी पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया। दोनों परिवार नहीं चाहते है कि इस मामले में याचिकाकर्ता को सजा हो। क्योंकि दोनों ही परिवार समझौता कर चुके है।

कोर्ट ने कर दी FIR निरस्त

कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि 16 साल की लड़की को 22 साल के एक युवक से प्रेम हो गया जिसके बाद दोनों की नासमझी में बेटे का जन्म हो गया। वहीं मामले में लड़की ने 161 और 164 के तहत दिए बयान के बाद कोर्ट के सामने स्वीकार किया कि उसने अपनी सहमति से याचिकाकर्ता के साथ संबंध बनाए थे।

हाईकोर्ट के जज ने ये कहा

दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक एफआईआर को रद्द करते हुए न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता के पीड़िता के साथ यौन संबंध को मंजूरी और सहमति नहीं दे सकती है। लेकिन, यह एक कठोर वास्तविकता है कि उनका प्रेम संबंध कानूनी और नैतिक सीमाओं से परे चला गया है। जिसके कारण एक बच्चा पैदा हुआ है। गलती या भूल जो अन्यथा एक अपराध का गठन करती है। अपरिपक्व कार्य और दो व्यक्तियों की अनियंत्रित भावनाओं के कारण की गई है, जिनमें से एक अभी भी नाबालिग है।

कोर्ट ने कहा- अदालत मूक दर्शक बनी नहीं रह सकती

उन्होंने कहा कि यह अदालत ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार की ओर मूक दर्शक बनी नहीं रह सकती है और ना ही उससे मुंह मोड़ सकती है। यदि एफआईआर को रद्द नहीं किया जाता है और आगे बढ़ाया जाता है तो याचिकाकर्ता को 10 साल तक की सजा हो सकती है। याचिकाकर्ता के अभियोजन और सजा से दोनों पक्षों के परिवार के सदस्यों की आंखों में आंसू होगा और उन्हें दर्द होगा। दो परिवारों का भविष्य और एक मासूम बच्चा दांव पर होगा। अगर दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाता है, तो यह न्यायसंगत होगा।

 

First published on: Nov 29, 2022 10:15 PM

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