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Rajasthan: कांगों में शहीद दोनों सपूतों को नम आंखों से दी अंतिम विदाई, उमड़ा जन सैलाब

जयपुर: कांगो में शहीद हुए बीएसएफ के जवानों का आज पैतृक गांवों में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दोनो शहीदों को विदा करने के लिए हजारों की संख्या में लोगों के साथ ही जन प्रतिनिधी और प्रशासनिक अफसर भी मौजूद रहे। दोनो की पार्थिव देह को पहले रविवार को दिल्ली लाया गया […]

Edited By : Nirmal Pareek | Updated: Aug 1, 2022 16:37
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जयपुर: कांगो में शहीद हुए बीएसएफ के जवानों का आज पैतृक गांवों में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दोनो शहीदों को विदा करने के लिए हजारों की संख्या में लोगों के साथ ही जन प्रतिनिधी और प्रशासनिक अफसर भी मौजूद रहे। दोनो की पार्थिव देह को पहले रविवार को दिल्ली लाया गया था। इसके बाद दिल्ली से सड़क मार्ग होते हुए बाड़मेर और सीकर भेजा गया था।

आज दोनों सपूतों को अंतिम विदाई देने के लिए आज कई गांवों के हजारों लोग उमढ़ आए। भारत माता की जयकारों और वंदे मातरम के उद्घोषों के बीच दोनो जवानों को हजारों गाम्रीणों ने पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया और उसके बाद सैन्य सम्मान से उनको अंतिम विदाई दी गई।

बता दें कि कांगो के उत्तरी किवु प्रांत में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (MONUSCO) में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरीकरण मिशन के आधार पर हमले के दौरान मंगलवार, 26 जून को 2 भारतीय शांति सैनिकों सहित संयुक्त राष्ट्र के 3 सैनिक मारे गए थे। इसमें बाड़मेर के रहने वाले सांवलराम विश्नोई और सीकर के रहने वाले हैड कांस्टेबल शिशुपाल शहीद हो गए।

पिता की सिल्वर जुबली पर सरप्राइज गिफ्ट देने वाली थी बेटी

20 जुलाई को शिशुपाल की शादी को 25 साल हो गए थे। 3 मई को जब आखिरी बार परिवार से मुलाकात हुई थी तो उस समय यह तय हुआ था कि अब जब भी लौटेंगे तो बड़ा आयोजन करेंगे। बेटी कविता जो एमबीबीएस कर चुकी हैं उनका कहना है कि मैने और भाई ने तय किया था कि मम्मी और पापा को सरप्राइज देंगे। पापा लौटेंगे तो उनको ऐसा सरप्राइज देंगे कि वे हैरान हो जाएंगे। हम इसकी तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन किसे पता था कि तीन मई तो वे कभी भी नहीं आने के लिए जा रहे हैं।

पत्नी ने कहा- किसे पता था कि यह आखिरी मुलाकात होगी

दरअसल अफ्रीका के कांगो में मंगलवार को बाड़मेर के रहने वाले सांवलराम विश्नोई को गोली लग गई थी। उनके परिवार के सदस्यों का कहना था कि वे अपने साथियों के साथ अपने मोर्चे पर थे इस दौरान उपद्रवियों ने हमला कर दिया और गोलियां चला दी। सांवराल ने भी अपने साथियों के साथ उपद्रवियों का डटकर मुकाबला किया लेकिन गोलियां लगने से वे शहीद हो गएं। कांगो जाने से दो महीने पहले वे सिर्फ पंद्रह दिन के लिए अपने गांव आए थे। उनकी शादी सोलह साल पहले हुई थी। उनके दो बेटे हैं । पत्नी रुक्मणी से सांवलराम ने कहा था कि वे जल्द ही लौटेंगे इस बार ज्यादा दिन के लिए आएंगे। किसे पता था कि यह आखिरी मुलाकात होगी, पत्नी ने कहा अगर ऐसा पता होता तो उनको जाने ही नहीं देती।

वहीं, शहीद के परिवार के लोग बीते 6 दिनों से पार्थिव देह का इंतजार कर रहे थे। परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। अब गांव के लोगों का कहना है कि हमें दुख होने के साथ गर्व भी है कि देश के साथ विश्व की सेवा करते शहीद हुए हैं।

First published on: Aug 01, 2022 04:37 PM

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