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AIIMS Bhopal: भोपाल एम्स के डॉक्टरों का कमाल, 540 मिनट के ऑपरेशन के बाद बनाई महिला की नई आहार नली

AIIMS Bhopal: भोपाल एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने 540 मिनट तक चले ऑपरेशन के बाद महिला की नई आहार नली बनाने का सफल ऑपरेशन किया है। एम्स भोपाल में एडमिट कराई गई महिला ने घऱ पर टॉयलेट क्लीनर का सेवन कर लिया था। इसके सेवन से महिला की भोजन नली (ग्रासनली) गंभीर रूप […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Mar 22, 2023 12:41
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AIIMS Bhopal: भोपाल एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने 540 मिनट तक चले ऑपरेशन के बाद महिला की नई आहार नली बनाने का सफल ऑपरेशन किया है। एम्स भोपाल में एडमिट कराई गई महिला ने घऱ पर टॉयलेट क्लीनर का सेवन कर लिया था। इसके सेवन से महिला की भोजन नली (ग्रासनली) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी।

एम्स-भोपाल ने ट्विटर पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी। ट्वीट कर लिखा गया कि एम्स, भोपाल के डॉक्टरों की एक टीम ने हाल ही में एक दुर्लभ और कठिन ऑपरेशन करके एक नई आहार नली बनाने में चमत्कारिक रूप से सफलता प्राप्त की है। कुछ समय पहले, एक महिला ने अपने घर में टॉयलेट क्लीनर का सेवन किया था, जिसके कारण जिससे उसकी खाने की नली (इसोफेगस) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी।

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एम्स की ओर से जानकारी दी गई कि टायलेट क्लीनर के कारण महिला की आहार नली गंभीर रूप से जल गई और उसकी आहार नली पूरी तरह से बंद हो गई थी। इससे उसके पेट पर भी असर पड़ा थी। वह अपने मुंह से कुछ भी निगलने में असमर्थ थी।

ट्विटर पर दी गई जानकारी के मुताबिक, महिला पानी या अपना लार को निगलने में भी असमर्थ थी। इस स्थिति को निगलने में कठिनाई या डिसफेजिया कहा जाता है। इस दौरान वह जीवित रहने के लिए ट्यूब के जरिए भोजन (फीडिंग जेजुनोस्टोमी) पर आश्रित थी। इस प्रक्रिया में तरल भोजन सीधे छोटी आंत्र (स्माल इंटेस्टाइन) में पहुंचाया जाता है।

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10 महीने बाद भोजन नली फिर से हुई चालू

सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और ईएनटी विभागों के डॉक्टरों की एक टीम ने महिला की सेहत का मूल्यांकन किया। मरीज और परिवार के सदस्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नई भोजन नली बनाने के लिए सर्जरी की योजना बनाई गई। 10 महीने बाद उसकी भोजन नली फिर से चालू हो गई है।

ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विशाल गुप्ता ने कहा कि मरीज ने पिछले 10 महीनों से मुंह से कुछ भी नहीं खाया या पिया नहीं था। इस दौरान मरीज को फीडिंग ट्यूब के माध्यम से खाना दिया जाता था।

नौ घंटे तक चला था ऑपरेश

डॉ. विकास गुप्ता ने कहा, “उनकी आवाज को बचाए रखना भी एक वास्तविक चुनौती थी क्योंकि हमें गले में वॉयस बॉक्स के पास एक नई खाद्य नली और एक महत्वपूर्ण तंत्रिका से जुड़ना था जो उनकी आवाज को नियंत्रित करती है और इस क्षेत्र से गुजरने वाले सांस की नली की सुरक्षा भी करती है।”

करीब 9 घंटे तक चले ऑपरेशन को डॉक्टरों की टीम ने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस टीम में सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. विशाल गुप्ता, डॉ. लोकेश अरोरा तथा डॉ. सजय राज, ईएनटी विभाग के डॉ. विकास गुप्ता, डॉ. गणकल्याण, डॉ. राहुल तथा एनेस्थिसिया विभाग की डॉ. शिखा जैन शामिल थीं।

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First published on: Mar 22, 2023 10:07 AM

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