TrendingMP Board Result 2024lok sabha election 2024IPL 2024UP Lok Sabha ElectionNews24PrimeBihar Lok Sabha Election

---विज्ञापन---

रिपोर्ट: रांची की आदिवासी युवतियों में आखिर क्यों बढ़ रहा शादी से पूर्व वर्जिनिटी सर्जरी का प्रचलन?

रांची से विवेक चंद्र की रिपोर्ट: रांची जैसे छोटे शहर की लड़कियों में भी अब शादी से पूर्व वर्जिनिटी सर्जरी का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। यहां डॉक्टरों के अनुसार वर्जिनिटी सर्जरी कराने वाली युवतियों में आदिवासी युवतियों की तादाद 50 फीसदी के आस-पास है। रांची जैसे छोटे शहरों की लड़कियों में वर्जिनिटी सर्जरी […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Jan 23, 2023 11:04
Share :

रांची से विवेक चंद्र की रिपोर्ट: रांची जैसे छोटे शहर की लड़कियों में भी अब शादी से पूर्व वर्जिनिटी सर्जरी का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। यहां डॉक्टरों के अनुसार वर्जिनिटी सर्जरी कराने वाली युवतियों में आदिवासी युवतियों की तादाद 50 फीसदी के आस-पास है। रांची जैसे छोटे शहरों की लड़कियों में वर्जिनिटी सर्जरी के बढ़ते प्रचलन के मायने तलाशती ये खास रिपोर्ट पढ़ें

और पढ़िए –प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में CM योगी बोले- UP के 4 शहरों में होंगे G20 के कार्यक्रम, ये मौका न चूकें…

हर माह 5 लड़कियां करवा रहीं सर्जरी

रागिनी (बदला हुआ नाम) रांची के एक प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंची और उसने डॉक्टर से वर्जिनिटी सर्जरी यानी हाइमनोप्लास्टी के बारे में पूछताछ की। रागिनी की शादी हाल में ही होनी है और वह चाहती है कि वह अपने पति को अपना कौमार्य का उपहार में दे। रागिनी की तरह ही रांची के कास्मो और प्लास्टिक सर्जन के पास हर माह चार से पांच लड़कियां आती है। डाक्टरों की मानें तो इन लड़कियों में आदिवासी समाज की लड़कियों की संख्या 50 फीसदी होती है। वर्जिनिटी सर्जरी कराने वालों में ज्यादातर लड़कियां चाहती है कि उनके पति का विश्वास उन पर बना रहे।

 

डॉ अनंत सिन्हा

 

50 फीसदी लड़कियां 

रांची के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ अनंत सिन्हा न्यूज़ 24 से कहते हैं कि रांची में वैसे तो हाइमनोप्लास्टी की शुरुआत हमने 2001 में की थी। उस वक्त इसे करवाने वालों की संख्या काफी कम थी। आज हर माह हमारे पास चार से पांच लड़कियां आती है। इनमें 50 फीसदी लड़कियां आदिवासी समाज की होती है। डॉ अनंत आगे कहते हैं कि समाज कितना भी बदल गया है पर आज भी वर्जिनिटी एक टैबू है। आम मद्धम वर्ग से लेकर उच्च वर्गीय युवा अपनी होने वाली दुल्हन के वर्जिन होने की उम्मीद रखते हैं। वे कहते हैं कि वर्जिन लड़कियों में एक झिल्ली होती है जिसे मेंबरेन कहते हैं। कई बार सेक्स के दौरान मेंबरेन फट जाती है। हालांकि इसकी वजह सिर्फ सेक्स नहीं होती खेल, या दूसरे कई कारण से भी यह झिल्ली डैमेज हो जाती है। इन दिनों स्कूल कालेजों में पढ़ने के दौरान ही बॉयफ्रेंड के साथ सेक्सुअल रिलेशन भी बढ़ा है। ऐसे में शादी से पूर्व लड़कियां दोबारा महज कुछ पैसे खर्च कर अपनी वर्जिनिटी वापस पाना चाहती है। मुझे नहीं लगता इसमें कुछ बुरा है। यह सब एक बेहतर खुशनुमा जीवन के लिए ही तो है। वे आगे कहते हैं कि रांची की लड़कियों में इस सर्जरी को लेकर अब कोई झिझक या शर्म इसे नहीं होती। वे काफी कॉन्फिडेंस के साथ हमारे पास हाइमनोप्लास्टी के लिए आती हैं। उनकी चाहत बस ये होती है कि शादी के बाद अपने पति को ये वर्जनिटी का उपहार दे सके।

और पढ़िए –Old pension scheme: पुरानी पेंशन स्कीम पर बड़ा अपडेट, फिर लागू होने की आशंका

एक घंटे का वक्त और वर्जिनिटी वापस

डॉ अनंत सिन्हा के मुताबिक हाइमनोप्लास्टी में एक घंटे का वक्त लगता है। इससे पहले हम कुछ सामान्य से टेस्ट करवाते हैं जिसमें एचआईवी जैसे टेस्ट शामिल होते हैं। रांची में सर्जरी का खर्च महज 30 हजार के आसपास आता है। मरीज की जानकारी गोपनीय रखी जाती है।

नारी की देह पर उसका अधिकार

वहीं नाम न छापने की शर्त पर रांची के एक कास्मो सर्जन कहते हैं कि इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कोई लड़की या महिला अपने देह के किसी अंग को कैसा रखें यह उसका निजी अधिकार है समाज का नहीं। वे आगे कहते हैं कि हां रांची की लड़कियों में वर्जिनिटी सर्जरी का क्रेज काफी तेजी से बढ़ रहा है। हम ऐसे केस में पूरी तरह से गोपनीयता बरतते हैं। आप इस सर्जरी को नकारात्मक भाव से नहीं देख सकते। इतना तो है हीं कि कहीं न कहीं सेक्स के रोमांच में इसका वैज्ञानिक आधार भी जुड़ा है।

और पढ़िए –Mukhtar Ansari: 22 साल बाद दर्ज हुआ हत्या का मुकदमा, जानें गैंगवार की पूरी कहानी

डॉक्टर अभय सागर मिंज

आदिवासी समाज इस मामले में उदार

रांची के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के मानव शास्त्र के सहायक अध्यापक डॉक्टर अभय सागर मिंज कहते हैं कि आदिवासी समाज में वर्जिन न होना अपराध नहीं है। आदिवासी समाज इस मामले में प्रारंभ से ही काफी उदार रहा है। हमारे यहां वर्ज़न होना न होना मायने नहीं रखता है। वे आगे कहते हैं कि आदिवासी समाज में आठ प्रकार की विवाह पद्धतियां है। जिनमें एक है ढुकु मैरेज भी शामिल है। इसे आप आधुनिक लिव इन रिलेशन समझ सकते हैं। इसमें विवाह पूर्व एक युवक और युवती एक दूसरे के साथ रहते हैं। ऐसे में हाइमनोप्लास्टी का क्रेज आदिवासी युवतियों में बढ़ने की कुछ वजह मुझे समझ नहीं आती।

मार्केटिंग ने ‘कौमार्य वापसी’ को बनाया बिजनेस

आदिवासी महिलाओं पर लगातार काम कर रहे पत्रकार एम अखलाक कहते हैं कि कुछ रूढ़िवादी परंपराएं को बाजार खुद से जोड़कर उसकी मार्केटिंग करता है। आज के दौर में भी वर्जनिटी को किसी भी लड़की के कौमार्य की गारंटी के तौर पर देखा जाता है। जमाना भले ही बदल गया हो पर ज्यादातर पुरुष आज भी लड़की की वर्जिनिटी को उसके चरित्र से जोड़कर देखते हैं। दुःख इस बात का है कि आज के परिवेश में लड़कियां भी पुरूषों के इसी सोच को मजबूत करने में लगी है। बाजार भी इसमें एक पक्ष है। आज इस सर्जरी का बिजनेस करोड़ों का है। इसे लेकर भी एक धारणा फैला दी गई। महानगरों की देखा देखी अब छोटे शहर में भी वर्जिनिटी सर्जरी को मॉडर्न फ़ैशन की तरह परोसा जा रहा है। इसका खूब प्रचार किया जा रहा है और कुछ आदिवासी लड़कियां भी इस प्रचार जाल में चाहे अनचाहे फंस रही हैं।

और पढ़िए –देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

First published on: Jan 22, 2023 04:56 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

---विज्ञापन---

संबंधित खबरें
Exit mobile version