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जिसने जीत लिया सौराष्ट्र उसने जीती गुजरात की गद्दी, जानिए यहां की 48 सीटों के समीकरण

ठाकुर भूपेंद्र सिंह, सौराष्ट्र: गुजरात  विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी की जा सकती है। इस चुनाव में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। सौराष्ट्र में 48 सीटें हैं, स्वाभाविक रूप से कोई भी पार्टी बड़ी संख्या में जीते बिना यहां सरकार नहीं बना सकती। तो यह कहा जा सकता है […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Oct 15, 2022 22:17
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सौराष्ट की प्रतीकात्मक तस्वीर

ठाकुर भूपेंद्र सिंह, सौराष्ट्र: गुजरात  विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी की जा सकती है। इस चुनाव में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। सौराष्ट्र में 48 सीटें हैं, स्वाभाविक रूप से कोई भी पार्टी बड़ी संख्या में जीते बिना यहां सरकार नहीं बना सकती। तो यह कहा जा सकता है कि कोई भी पक्ष अगर गुजरातकी गद्दी पर बैठना चाहता है, चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस या कोई भी दल, हो तो उसे सौराष्ट्र की सीटो को जितना जरूरी है

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सौराष्ट्र की 48 सीटो का गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए बड़ी महत्व पूर्ण हे । सौराष्ट्र की 48 सीटों पर जीत के लिए सभी दलों की नजर है। सौराष्ट्र की 48 सीटों पर जित पाने के लिए उन सभी बातों राजकीय दल ध्यान केन्द्रित करे बिना और पर अपनी रणनीति में शामिल किए बिना राजनीतिक दल नहीं रह सकते। 2017 की विधानसभा चुनाव में बीजेपी का शहरी इलाकों दबदबा और ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का दबदबा रहा है।

2017 में अमरेली, मोरबी और सोमनाथ जिलों में बीजेपीको  एक भी सीट नही मिली थी और हार का समाना करना पड़ा। भाजपा ने जूनागढ़ की 5 सीटो में से भाजपा को केशोद की एक सीट पर जीत हासिल की। तो वहीं पोरबंदर और बोटाद जिलों में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने एक-एक सीट जीती है। राजकोट की 8 में से 6 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। इसी तरह भावनगर शहर की 7 में से 6 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। इन परिणामों से एक स्पष्ट निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 2017 के चुनावों में सौराष्ट्र में  भाजपा का शहरी सौराष्ट्र में जाति समीकरण की चर्चा करे तो सौराष्ट्र की 18 सीटें पाटीदार प्रभुत्व वाली विधानसभा की 10 सीटें है और बाकि कोली समाज के वोटर बाहुलिक हैं।

इसके अलावा गोंडल विधानसभा सीट पर भावनगर और जामनगर के साथ राजपूत वोटर महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अमरेली जिलेकी राजुला सीट जो कोली समाजके ज्यादा तर वोट हे उस सिट पे कांग्रेस के आहिर समाज के  प्रत्याशी अमरीश डेर कोली वोटर होने के बावजूद विधायक बनने में कामयाब रहे हैं। सौराष्ट्र की मोरबी, टंकारा, विसावदार, राजकोट पूर्व, गोंडल, धोराजी, कालावाड, माणावदर, जामजोधपुर, जेतपुर, अमरेली, लाठी, गारियाधार, धारी, सावरकुंडला और बोटाद सीटों में पाटीदार समाजके मतदाता  हैं। वहीं, भावनगर गांव, पलिताणा, तलाजा, महुवा, राजुला, ऊना, तलाला, सोमनाथ, केशोद और जसदण विधानसभा सीटों पर कोली समाजके वोटर की बहुमत हैं।

यही विशेषता के कारण सौराष्ट्र की 48 विधानसभा सीटों को महत्वपूर्ण माना जाता  है और कोली समाज और पाटीदार समाज के वोटर ही इन सीटो के लिए निर्णायक माने जाते हैं। सौराष्ट्र के कोली समाज और पाटीदार समाज के दिग्गज नेताओ की बात करे तो कांग्रेस के परेश धनानी से लेकर भाजपा के जयेश रादडिया, जसदण से कुंवरजी बावलिया से लेकर विमल चुडासमा तक, ये सभी सौराष्ट्र के  नेता और विधायक 48 सीटों पर पाटीदार और कोली समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस लिए गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में सौराष्ट्र की कुल 48 सीटें बेहद अहम माना जाता हैं जो गुजरातकी गद्दी पर बैठना चाहता है तो उस दल को सौराष्ट्रकी सीटो को जितना जरुरी है।

कोली और पाटीदार समुदाय का समीकरण किसी भी दल पर भारी पड़ सकता है राजनीतिक दलों के लिए यह समीकरण निर्णायक साबित हो शकता है। सौराष्ट्र की 48 सीटों पर जहां पाटीदार मतदाता बहुमत में हैं, वहां पाटीदार के अलावा अन्य जाति के उम्मीदवारों को पाटीदार वोट मिलनेकी कोई संभावना नहीं है। इसी तरह, गैर-कोली जाति के उम्मीदवारों के लिए कोली जाति के वोट भी असंभव हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के मुद्दे महंगाई, बेरोजगारी और किसानों का संकट, येतीन मुद्दे सौराष्ट्र के लोगों को प्रभावित कर रहे हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञ बता रहे हे की  ‘महंगाई, बेरोजगारी, किसानों का सवाल और सरकारी कर्मचारियों का संकट मतदान के दिन आम विधानसभा चुनाव और मतदान के नतीजे पर जरूर दिखेगा. लगातार बढ़ती महंगाई गरीब और मध्यम वर्ग की कमर तोड़ रही है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, बिजली, सब्जियां, दालें, अनाज, दूध की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। राज्य और केंद्र सरकार दोनों इसेनियंत्रित करनेमेंविफल रही हैं। अकेले हिंदुत्व के दम पर चुनाव जीतने की गिनती में जुटी सत्ताधारी पार्टी अगर महंगाई के मुद्दे की अनदेखी कर अपनी चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ती है तो भाजपा के अलावा अन्य राजनीतिक दलों को निश्चित तौर पर फायदा होगा।

सौराष्ट्र को राजनितिक द्रष्टि से सबसे महत्व पूर्ण माना जाता हे इसका कारण यहां सौराष्ट्र के मतदाताओं की विशेषताएं हैं।अधिकांश सीटें पाटीदार बहुल हैं। वहीं, कुछ अन्य सीटों पर भी कोली समुदाय का प्रभाव देखनेको मिल रहा है। यहां तक कि क्षत्रिय राजपूत और गरासिया दरबार भी भावनगर और सुरेंद्रनगर जिलों की विधानसभा सीटों पर अपने वोट से किसी भी राजनीतिक दल का समीकरण बिगाड़ सकते है।

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची के संबंध मेंहाल ही में चुनाव आयोग द्वारा सौराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या की घोषणा की गई है। जिसके अनुसार सौराष्ट्र क्षेत्र के 11 जिलों मेंकुल 1,12,28,209 मतदाता पंजीकृत हैं। कुल 58,00,896 पुरुष मतदाता और 54,11,313 महिला मतदाता पंजीकृत हैं। अन्य मतदाताओं की संख्या 192 दर्ज किए गए है।

भाजपा ने गुजरात में 150 सिट जितेने के लिए सौराष्ट्र पे फोकस किया हे क्युकी विजयभाई रूपाणिने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया उस के बाद राजकोट और सौराष्ट्र की जनता इस बात से नाराज हे.सौराष्ट्र और राजकोट की वोट बेंक न टूटे इस लिए पीएम मोदीने जामकनडोणामें सभा की भाजप अपना समर्थन बढ़ाने और  मजबूत करने के लिए कांग्रेस के विधायकों को उनके घर तक लानेके लिए अभियान चला रही हे., इसके पीछे मंशा नेता और उनके समर्थकों को भाजपा समर्थक बनाने की है। हाल ही में पिछली विसावदर सीट सेकांग्रेस विधायक हर्षद रिबदिया, जो आक्रामक रूप से भाजपा का विरोध कर रहे थे, उनको भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल किया है। हर्षद रिबदिया विसावदार का जोरदार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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सौराष्ट्र भाजपा के लिए इतना महत्वपूर्ण है। वर्ष 2017 में हुए गुजरात  विधानसभा के आम चुनाव में भाजपा को सौराष्ट्र की 48 सीटों पर काफी संघर्ष करना पड़ा था। कांग्रेस ने शहरी क्षेत्रों में विधानसभा सीटों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में विधानसभा सीटों पर पकड़ बना ली और शानदार जीत के साथ सामने आई। इस बार आम आदमी पार्टी के रूप में तीसरे राजनीतिक दल के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। गुजरात में आम आदमी पार्टी

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First published on: Oct 15, 2022 09:10 PM

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