Gaya Town Election Result 2025: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता डॉकटर प्रेम कुमार ने बिहार में राजनीति का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. वे गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से लगातार 9वीं बार विधायक बन गए हैं. 2025 के बिहार चुनाव में प्रेम कुमार को कुल 90878 वोट मिले. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार अखौरी ओंकार नाथ को 26423 वोटों के अंतर से हराया. अति पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रेम कुमार प्रदेश में बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं और इस सीट से उन्हें अब तक एक बार भी हार नहीं मिली है.
1990 में पहली बार बने थे विधायक
बिहार में नीतीश कुमार सरकार में लंबे समय तक मंत्री रहे प्रेम कुमार साल 1990 में गया शहर विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बने थे. तब से लेकर अब तक उन्होंने 9 बार चुनौतियों का मजबूती से सामना किया और हर बार जीत दर्ज की. बिहार में पहले कांग्रेस, फिर राजद और बाद में जेडीयू का दबदबा रहा, लेकिन वो हर बार गया शहर से भाजपा का कमल खिलाते रहे हैं.
चंद्रवंशी समाज से आने वाले डॉ. प्रेम कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अखौरी ओंकारनाथ को हराया था. तब उन्होंने 11,898 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. अब एक बार फिर स्थानीय मतदाताओं ने प्रेम कुमार पर भरोसा जताया और उन्होंने अजेय रिकॉर्ड बरकरार रखा.
2015 में बने थे नेता प्रतिपक्ष
2015 के चुनाव में, जब भाजपा और जेडीयू का गठबंधन नहीं था, तब भी प्रेम कुमार ने गया शहर सीट पर जीत दर्ज की. कांग्रेस के प्रिय रंजन उनके मुकाबले में थे, जिन्हें उन्होंने 22,789 मतों के अंतर से शिकस्त दी. इसी दौरान 2015 से 2017 के बीच वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. इससे पहले 2010 के चुनाव में उन्होंने सीपीआई के जलालुद्दीन अंसारी को 28 हजार से अधिक वोटों से हराया था. वहीं, नवंबर 2005 के चुनाव में उनके सामने कांग्रेस ने जाने-माने रंगकर्मी और साहित्यकार संजय सहाय को उतारा था, लेकिन प्रेम कुमार ने उन्हें भी 25 हजार से अधिक मतों से मात दी.
दो बार विधायक बनने के बाद हासिल की PhD
प्रेम कुमार ने स्टूडेंट लाइफ से ही राजनीति शुरू कर दी थी. पढ़ाई के दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के साथ सक्रिय हो गए. इसके बाद 80 के दशक में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली और तब से वे लगातार इसी पार्टी से जुड़े रहे. 1990 और 1995 में लगातार दो बार विधायक के रूप में जीत हासिल की. इसी दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. साल 1999 में, दो बार चुनाव जीतने के बाद उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से इतिहास में PhD की उपाधि प्राप्त की. अपने लंबे राजनीतिक सफर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री के तौर पर काम किया.










