पटना: बिहार महिला विकास निगम (डब्ल्यूडीसी) की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा मंगलवार को पटना में यूनिसेफ और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यशाला के दौरान छात्राओं के सवालों को संभालने के तरीके को लेकर आलोचनाओं के घेरे में आ गईं। कार्यक्रम के दौरान स्कूली छात्राओं ने सैनिटरी पैड मुफ्त में उपलब्ध कराने की गुहार लगाई।
‘कल आप कंडोम मांगोगी’
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने एक छात्रा को तब झिड़क दिया जब उसने पूछा कि सरकार उन्हें सैनिटरी पैड क्यों नहीं मुहैया कराती है। हरजोत ने लड़की को जवाब दिया, “आप आज सैनिटरी पैड मांग रही हो, कल आप कंडोम मांगोगी।’ वीडियो में स्कूली छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन मुफ्त में देने की मांग करते हुए देखा जा सकता है ताकि उन्हें जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़े।
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क्या सरकार 20-30 रुपए का सैनिटरी पैड नहीं दे सकती?
जवाब- इस माँग का कोई अंत है? कल को जींस पैंट भी दे सकते हैं. परसों सुंदर जूते भी दे सकते हैं. अंत में निरोध भी मुफ़्त में ही देना पड़ेगा. ये बेवकूफी की इंतहा है. पाकिस्तान चली जाओ.
बिहार महिला एवं बाल विकास निगम की MD को सुनिए. pic.twitter.com/lVMGiK7L9D
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) September 28, 2022
वर्कशॉप के दौरान एक छात्र ने पूछा सवाल
डब्ल्यूडीसी राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है और महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी है। वर्कशॉप के दौरान एक छात्र ने पूछा “जब सरकार हमारे लिए इतनी सारी चीजें कर रही है, जिसमें हमें वर्दी और छात्रवृत्ति देना शामिल है, तो वह सैनिटरी पैड क्यों नहीं दे सकती, जिसकी कीमत केवल 20-30 रुपये होगी?”
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आईएएस अधिकारी हरजोत कौर ने लड़की के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “क्या मांगों का कोई अंत है? कल आप कहेंगे कि सरकार जींस और खूबसूरत जूते दे सकती है। जब परिवार नियोजन की बात आती है, तो आपको मुफ्त कंडोम भी चाहिए। ये बेवकूफी की इंतहा है। पाकिस्तान चली जाओ।
हो रही है आलोचना
बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा “डब्ल्यूडीसी के एमडी ने लड़की के सवाल को समझने की कोशिश नहीं की। वह शायद स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने की मांग कर रही थी। हालांकि सरकार कक्षा 6 से 12 तक की प्रत्येक छात्रा को 300 रुपये देती है, लेकिन उनमें से अधिकांश स्कूलों में सैनिटरी पैड नहीं ले जाती हैं। आईएएस अधिकारी को अलग तरह से जवाब देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने छात्रा का अपमान किया।
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