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दिल्ली

दिल्ली में आपका क्लब खतरे में है… राष्ट्रीय राजधानी में महज 90 नाइट क्लब के पास फायर NOC

गोवा में नाइट क्लब में हादसे में 25 लोगों की मौत हो चुकी है। गोवा के बाद अब देशभर के क्लब पर सवाल उठने लगे हैं। यूपी सरकार ने भी प्रदेश में क्लबों की जांच कराई है। वहीं दिल्ली हालत कहीं ज्यादा खराब है। दिल्ली के ज्यादातर क्लब मानो हादसे का इंतजार कर रहे हों। पढ़िए दिल्ली से दिव्या अग्रवाल की रिपोर्ट।

Author Edited By : Raghav Tiwari
Updated: Dec 9, 2025 11:35
Delhi club

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली नाइट कल्चर के लिए फेमस है। हर वीकेंड पर लोग दोस्तों के साथ पार्टियों के लिए पब, होटल और क्लब का रुख करते हैं। लेकिन गोवा हादसे ने क्लबों में सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली में हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है। दिल्ली में तकरीबन 5000 होटल और नाइट क्लब हैं। इसमें से महज 90 के पास ही फायर विभाग की अनापात्ति प्रमाण पत्र (NOC) हैं। नया साल आने वाला है ऐसे में दिल्ली के क्लब लोगों ने क्लब जाने का प्लान शुरु कर दिया है। लेकिन जिस क्लब में आप जाने का प्लान कर रहे हैं, क्या वह सेफ है? यह बड़ा सवाल बन गया है। देखना है कि आने वाले समय में ऐसे हादसों से बचने के लिए क्या दिल्ली के नाइट क्लब पर प्रशासन का चाबुक चलेगा?

सूत्रों के मानें तो दिल्ली में 5000 से ज्यादा नाइट क्लब पब रेस्टोरेंट और होटल है लेकिन फायर डिपार्टमेंट की तरफ से कुल 90 होटल और क्लब के पास ही निक है। फाइव डिपार्टमेंट के अधिकारी की माने तो अभी सिर्फ 90 होटल और क्लब के पास ही फायर एनओसी है लेकिन कुल कितनी और एनओसी पेंडिंग है या कुल कितने होटल और क्लब रेस्टोरेंट दिल्ली में है। इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी अभी डिपार्टमेंट के पास नहीं है, दरअसल गोवा में जहां यह हादसा हुआ वहां स्ट्रक्चर भी छत पर ही बना हुआ था वहां पर आग बुझाने के इंतजाम भी प्रॉपर नहीं थे।

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यह भी पढ़ें: गोवा नाइट क्लब हादसे में एक्शन, 3 बड़े अधिकारी सस्पेंड, रेस्टोरेंट को परमिशन-लाइसेंस देने में थी ये भूमिका

वहीं दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी का दावा है कि दिल्ली के क्लब का स्ट्रक्चर गोवा से अलग है। एमसीडी के एक अधिकारी के मुताबिक गोवा और दिल्ली में चल रहे पब और नाइट क्लब कि किसी भी तरह से तुलना दिल्ली से नहीं की जा सकती, दरअसल गोवा के क्लब में ज्यादातर स्ट्रक्चर लकड़ी का बना हुआ है जबकि दिल्ली में आमतौर पर पक्के स्ट्रक्चर हैं जिनमें ज्वलनशील चीजों का इस्तेमाल न के बराबर होता है। हालांकि यहां विशेष अवसर पर स्थाई स्ट्रक्चर के इस्तेमाल के लिए भी अलग से परमिशन लेनी पड़ती है।

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नियमों के मानें तो दिल्ली में क्लब की साइज के हिसाब से एंट्री एग्जिट के लिए रास्ते भी एक से ज्यादा होते हैं। आपको बता दें गोवा में नाइट क्लब में लगी आग की वजह इलेक्ट्रिक क्रैकर्स के साथ-साथ पाल्म ट्रीस यानी ताड़ के पत्तों से बना ढाचा था। पाल्म ट्रीस के पत्तों का इस्तेमाल चुंकि उसमें नमी कम होती है और वह ज्वलनशील ज्यादा होते हैं इस वजह से आग तेजी से फैली,जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई जिसमें 21 नाइट क्लब के कर्मचारी और चार पर्यटक मौजूद थे।

नियमों की अनदेखी करते हैं क्लब

अक्सर क्लब तक फायर की गाड़ियों के पहुंचाने के लिए पर्याप्त रास्ता भी नहीं था क्योंकि क्लब तारों और संकरी गलियों के बीच में चल रहा था। आसपास के गांव के लोगों ने यह तक बताया कि गोवा में यह नाइट क्लब ऐसी जगह पर चल रहा था जो की इको फ्रेंडली है यानी कि वहां पर कंस्ट्रक्शन करना अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है। नाइट क्लब के लिए डायनिंग एरिया के लिए 900 स्क्वायर मीटर जगह से ऊपर यदि है, तो उसका परमिशन लेनी पड़ती है। सूत्रों की माने तो इंस्पेक्शन करके एनओसी डिपार्टमेंट से लिया जाता है और उन्हें 3 साल के लिए अनुमति दी जाती है।

यदि क्लब 900 फीट से कम एरिया में बना हुआ है तो उसे परमिशन की जरूरत नहीं होती है। लेकिन ऐसे क्लब पब की जानकारी ज्यादा फायर डिपार्टमेंट के पास नहीं है क्योंकि जो लोग कॉलोनी के अंदर नाइट क्लब चलते हैं। वह जानबूझकर जानकारी नहीं देते हैं। उन जगह पर हादसों का खतरा अक्सर बना रहता है जो छत पर डायनिंग एरिया बनाकर पब्लिक के लिए इस्तेमाल करते हैं। उसके लिए एमसीडी लाइसेंस देती है उसके लिए गाइडलाइन होती है जिनका उन्हें ध्यान रखना पड़ता है।

यह भी पढ़ें: 25 मौतों के बाद जागा गोवा SDMA; 7 दिनों में सुरक्षा ऑडिट के निर्देश, नाइट क्लबों-रेस्तरां के लिए ए़डवाइजरी जारी

First published on: Dec 09, 2025 11:32 AM

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