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प्रदूषण मुक्त यमुना के लिए दिल्ली सरकार ने 570 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को दी मंजूरी

अमित पांडेय, नई दिल्ली: दिल्ली सरकार 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने, दिल्ली के हर घर को 24 घंटे नल से साफ पानी देने और सभी अनाधिकृत कॉलोनियों के घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। इसी क्रम में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली जलबोर्ड को बवाना […]

Edited By : Amit Panday | Updated: Oct 6, 2022 11:59
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अमित पांडेय, नई दिल्ली: दिल्ली सरकार 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने, दिल्ली के हर घर को 24 घंटे नल से साफ पानी देने और सभी अनाधिकृत कॉलोनियों के घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। इसी क्रम में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली जलबोर्ड को बवाना और मुंडका के कई इलाकों में डी-सेंट्रलाइज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण करने, दिल्ली की विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों व ग्रामीण इलाकों में सीवर लाइन बिछाने और बवाना में 2 एमजीडी वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करने आदि परियोजनाओं को मंजूरी दी।

इन सभी परियोजनाओं की कुल लागत क़रीब 570 करोड़ रुपये है। परियोजनाओं के पूरा होने के बाद इससे जहां 2025 तक यमुना की सफाई के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। वहीं, दिल्ली अनधिकृत कॉलोनियों और ग्रामीण इलाकों में लाखों लोगों को सीवर की समस्या से भी राहत मिलेगी। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अधिकारियों को सभी परियोजनाओं को समय सीमा के अंदर काम पूरा करने के निर्देश दिए है।

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इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार राष्ट्रीय राजधानी में सीवरेज सिस्टम को बेहतर बनाने, विभिन्न इलाकों में सीवर लाइन बिछाने और घर-घर सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराने की दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है। यमुना में दूषित पानी न बहे इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों और ग्रामीण इलाकों में केजरीवाल सरकार ने डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (डी-एसटीपी) बनाने का निर्णय लिया है।

यहां बड़े एसटीपी के लिए सभी जगहों पर पाइपलाइन बिछाना आसान नहीं है, लेकिन कम क्षमता के डी-एसटीपी का निर्माण कम खर्च में संभव है। डिसेंट्रलाइज्ड-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से दिल्ली की अधिकांश कॉलोनियों में बढ़ते जल प्रदूषण, दुर्गंध और भूमिगत जल स्तर में गिरावट के बोझ से मुक्ति मिलेगी। इनके निर्माण के लिए उपलब्ध जगह का किफायत से इस्तेमाल किया जाएगा। जहां डिसेंट्रलाइज्ड-एसटीपी सौंदर्य की दृष्टि से भी सुंदर होंगे। वहीं, सार्वजनिक सुविधा से भी कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

दिल्ली सरकार मुंडका के ग्रामीण इलाकों में बिछाएगी सीवर नेटवर्क 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि मुंडका विधानसभा क्षेत्र के तहत निजामपुर, घेवरा, कंझावाला, मोहम्मदपुर माजरा समूह की कालोनियों में डीएसटीपी, डब्ल्यूडब्ल्यूपीएस के निर्माण के अलावा सीवर लाइन भी बिछाई जाएगी। यहां गरही रिन्धाला में 1 एमएलडी डीएसटीपी, निजामपुर और सावदा में 6 एमएलडी डीएसटीपी, घेवरा में 2 एमएलडी डीएसटीपी, जोंती व तातेसर में 2 एमएलडी डीएसटीपी, कंझावला व लाडपुर में 5 एमएलडी डीएसटीपी, मोहम्मदपुर मंजरी और कराला में 10 एमएलडी डीएसटीपी का निर्माण किया जाएगा।

इन सभी इलाकों में कुल 26 एमएलडी की क्षमता वाले डिसेंट्रलाइज्ड-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स बनाए जाएंगे। इसके अलावा मुंडका के जोंटी- तातेसर गांव, मोहम्मदपुर मंजरी और कराला गांव समेत आसपास की कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाई जाएगी। वहीं, कंझावला व लाडपुर गांव, निजामपुर व सावदा, घेवरा गांव समेत आसपास की कॉलोनियों में भी सीवर की समस्या का समाधान करने के लिए केजरीवाल सरकार सीवरलाइन बिछाएगी। इससे इलाके के लाखों लोगों को सीवर की समस्या से निजात मिलेगी। मुंडका विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले इन ग्रामीण इलाकों में डिसेंट्रलाइज्ड-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और सीवर लाइन बिछाने के परियोजना में में 427.6 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

बवाना में डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का किया जाएगा निर्माण

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बवाना विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांवों और अनधिकृत कॉलोनियों में व्यक्तिगत घरों के सीवेज के ट्रीटमेंट व यमुना नदी में दूषित पानी को जाने से रोकने के इस क्षेत्र में भूमि की उपलब्धता के अनुसार विभिन्न स्थानों पर सीवरेज नेटवर्क बिछाने और डी-सेंट्रलाइज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा।

इससे यहां की कुल 24 अनधिकृत कालोनियों समेत 9 गांव के लाखों को फायदा होगा। इस परियोजना की लागत करीब 132.6 करोड़ रुपये होगी। वर्तमान में, घरों का सीवेज नालों में बह रहा है, जो आखिर में यमुना नदी में जाकर गिरता है। ऐसे में यहां डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण से सीवरेज को यही ट्रीट किया जा सकेगा और इससे यमुना के प्रदुषण में कमी आएगी।

क्या है डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट?

डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एक ऐसा मैकेनिज्म है जिसमें एक छोटा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाता है, जिसकी मदद से गंदा पानी जहां से उत्पन्न हो रहा है उसे उसी जगह ट्रीट किया जा सके। दिल्ली सरकार का लक्ष्य डिसेंट्रलाइज्ड-एसटीपी के जरिए दिल्ली के ज्यादा से ज्यादा पार्कों व अन्य जगहों पर पानी की सिंचाई की समस्या का समाधान करना है।

वर्तमान में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की अवस्थिति शहर के एक हिस्से में है और वहां तक गंदा पानी दूसरी जगह से लाया जाता है। यह काफी खर्चीला साबित होता है। वहीं, डिसेंट्रलाइज्ड-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कॉलोनियों के अंदर लगाए जाएंगे, जो जल प्रदूषण की समस्या का समाधान करेंगे क्योंकि सीवरलाइन का काफी पानी डी-एसटीपी में डायवर्ट किया जाएगा। डी-एसटीपी से निकला रीसायकल्ड पानी गार्डनिंग में इस्तेमाल किया जा सकेगा और अतिरिक्त पानी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज करने में मदद करेगा।

मौजूदा एसटीपी के मॉडल से अलग है डी-एसटीपी

डिसेंट्रलाइज्ड-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दूषित पानी को उसके उत्पन्न होने वाले स्थान पर उपचार करने की एक प्रणाली है। वर्तमान में, शहर के दूर-दराज के स्थानों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किए जाते हैं और इनके लिए विभिन्न स्रोतों से पानी इकट्ठा किया जाता है।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए दूषित पानी से रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म किया जाता है। सीवेज के पानी में कचरा, अन्य तरह की गंदगी दोनों होती है, जिसमें घरों से, ऑफिसों और इंडस्ट्रीज से निकला वेस्ट होता है इसलिए इसकी सफाई बहुत जरूरी होती है।

एसटीपी प्लांट इस दूषित पानी को महंगी सप्लाई प्रणाली के जरिए ट्रीट करता है। बड़े एसटीपी के लिए सभी पार्कों व सभी जगहों पर पाइपलाइन बिछाना आसान नहीं है, जबकि कम क्षमता के डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी का निर्माण कम खर्च में किया जा सकता है। इसके अलावा कोई अतिरिक्त पाइपलाइन भी बिछाने की जरूरत नहीं पड़ती।

आसपास के इलाके का सीवरेज डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी में लाकर शोधित किया जाता है। इसलिए डी-एसटीपी ऐसे बड़े ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए स्थायी विकल्प हैं, जिन्हें आपूर्ति और डिलीवरी के लिए मीलों लंबे और मंहगें इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है।

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बवाना में इन जगहों पर डी-एसटीपी का होगा निर्माण

दिल्ली सरकार की ओर से बवाना में पंजाब खोरी व जाट खोरी में 1-1 एमएलडी क्षमता वाले डीएसपीटी व एसपीएस का निर्माण किया जाएगा। वहीं, औचंडी में 4-4 एमएलडी क्षमता वाले डीएसपीटी व एसपीएस का निर्माण, कुतुबगढ़ में 3-3 एमएलडी क्षमता वाले डीएसपीटी व एसपीएस और बजीतपुर ठकरानी में 10-10 एमएलडी क्षमता वाले डीएसपीटी व एसपीएस का निर्माण किया जाएगा।

बवाना में बनेगा 2 एमजीडी क्षमता वाला वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट

बवाना में मौजूदा 20 एमडीजी डब्लूटीपी से निकलने वाले दूषित पानी को रीसाइकिल करने के लिए 2 एमजीडी क्षमता वाले रीसाइक्लिंग प्लांट का निर्माण किया जाएगा। बता दें, बवाना में 20 एमजीडी डब्लूटीपी का निर्माण साल 2000 में किया गया था। यह पहले से ही चालू है।

इसमें कुछ कर्मचारियों की तैनाती के साथ अतिरिक्त 2 एमजीडी वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट संचालित किया जा सकता है। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार इस डब्ल्यूटीपी के लिए वर्तमान में कोई रीसाइक्लिंग प्लांट न होने के चलते काफी पानी की बर्बादी हो रही है। ऐसे में 10.3 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 2 एमजीडी रीसाइक्लिंग प्लांट के जरिए पानी की बर्बादी को रोका जा सकेगा। इसका काम करीब डेढ साल में पूरा किया जाएगा।

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First published on: Oct 05, 2022 06:34 PM

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