Chainpur Election Result 2025 Live : सुबह 8 बजे से काउंटिंग शुरू हो रही है और पहला रुझान 8:45 बजे आएगा.
Chainpur Election Result 2025: बिहार के कैमूर जिले में स्थित चैनपुर विधानसभा सीट की स्थापना साल 1951 में हुई थी. चैनपुर की इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का खासा दबदबा देखने को मिलता है और मौजूदा विधायक भी उसी पार्टी के हैं. विधानसभा चुनावों में 243 सीटों पर शाम 6 बजे तक नतीजे सामने आ जाएंगे. इसके बाद खुलासा हो जाएगा कि जनता ने किस उम्मीदवार के लिए वोटों की बारिश की है. इस बार का चुनाव 2 चरणों में हो रहा है और इस सीट पर 11 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान हुआ था. साल 2020 में आखिरी बार जब सीट पर विधानसभा के चुनाव हुए थे तो बसपा से लड़ते हुए मोहम्मद जमा खान ने बाजी मारी थी.
चैनपुर Election Key Candidate 2025
चैनपुर विधानसभा सीट पर पिछले 4 विधानसभा चुनावों में बसपा और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिली है. साल 2020 में तो बसपा प्रत्याशी मोहम्मद जमा खान ने 24,294 वोटों से जीत हासिल की थी. इससे पहले लगातार 3 बार बीजेपी प्रत्याशी बृज किशोर बिंद ने जीत हासिल की थी. इस बार मोहम्मद जमा खान जेडीयू की तरफ से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं तो वहीं बसपा ने इस बार धीरज कुमार सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. आरजेडी की तरफ से बृज किशोर बिंद ने चुनाव लड़ रहे हैं.
Bhabua Election Result 2020
| उम्मीदवार का नाम | पार्टी | वोट | वोट % | जीत अंतर % |
|---|---|---|---|---|
| मो. ज़मा खान | बसपा (BSP) | 95,245 | 46.2% | 11.8% |
| बृज किशोर बिंद | भाजपा (BJP) | 70,951 | – | – |
| नीराज पांडेय | निर्दलीय (IND) | 13,119 | – | – |
Bhabua Election Result 2015
| उम्मीदवार का नाम | पार्टी | वोट | वोट % | जीत अंतर % |
|---|---|---|---|---|
| बृज किशोर बिंद | भाजपा (BJP) | 58,913 | 33.2% | 0.4% |
| मोहम्मद ज़मा खान | बसपा (BSP) | 58,242 | – | – |
| महाबली सिंह | जदयू (JD(U)) | 30,287 | – | – |
चैनपुर में कैसे हैं जातीय समीकरण?
चैनपुर की सीट पर जातीय समीकरण काफी महत्व रखते हैं. साल 2020 में यहां 21 फीसदी अनुसूचित जाति, 9.7 फीसदी मुस्लिम तो वहीं 9.38 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति थी. जानकारी के लिए बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां पर 3,18,231 पंजीकृत मतदाता थे. इस सीट पर जेडीयू ने अभी तक एक बार भी जीत हासिल नहीं की है. साथ ही चैनपुर की जनता किसी भी पार्टी के साथ ज्यादा समय तक नजर नहीं आती है बल्कि नेताओं की लोकप्रियता चुनाव में अहम भूमिका निभाती है.










