Bihar Chunav 2025: भागलपुर जिले का सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र (संख्या 157) बिहार की राजनीति में एक अहम स्थान रखता है. गंगा किनारे बसा यह इलाका जितना धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, उतना ही राजनीतिक रूप से भी जागरूक माना जाता है. प्रसिद्ध अजगैबीनाथ धाम और श्रावणी मेले के कारण विश्व प्रसिद्ध सुल्तानगंज हर चुनाव में सुर्खियों में रहता है. यहां की राजनीति का रुख अक्सर पूरे जिले के राजनीतिक रुझानों को भी प्रभावित करता है.
जनसांख्यिकी और मतदाता आधार
सुल्तानगंज की राजनीतिक दिशा यहां की सामाजिक गहराई से जुड़ी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3.11 लाख थी. यह क्षेत्र ग्रामीण और शहरी, दोनों आबादियों का मिश्रण है. जातीय समीकरणों की दृष्टि से यहां यादव, कुर्मी, कोइरी, गंगोता, सवर्ण, अति पिछड़ा वर्ग और दलित समुदायों की निर्णायक भूमिका रही है. साथ ही मुस्लिम मतदाता भी कई बूथों पर संतुलन बदलने की क्षमता रखते हैं. स्थानीय मतदाता अक्सर जाति के साथ-साथ उम्मीदवार की छवि, कामकाज और विकास के एजेंडे को भी अहमियत देते हैं.
उतार-चढ़ाव और स्थिरता का संगम
सुल्तानगंज का चुनावी इतिहास हमेशा दिलचस्प रहा है. यहां जनता दल (यूनाइटेड) ने पिछले एक दशक से मजबूत स्थिति में है, हालांकि राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने लगातार चुनौती दी है. 2020 में ललित नारायण मंडल ने जीत दर्ज की थी, लेकिन मुकाबला कांटे का रहा था. इस क्षेत्र का मतदाता अब पहले की तरह सिर्फ जातीय रुझानों पर नहीं, बल्कि विकास और स्थानीय मुद्दों पर भी मतदान करता है.
मतदाताओं की प्राथमिकताएं
यहां के मतदाता अब वादों से आगे बढ़कर काम को प्राथमिकता दे रहे हैं. किसान सिंचाई सुविधा, युवाओं के लिए रोजगार और महंगाई जैसे मुद्दे सीधे तौर पर वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करते हैं. स्थानीय नेतृत्व और उम्मीदवार की विश्वसनीयता निर्णायक बनती जा रही है.
किसके पाले में जाएगी सुल्तानगंज ?
आगामी विधानसभा चुनाव (2025) मतगणना के दौरान सुल्तानगंज में राजनीतिक हलचलें तेज हो चुकी हैं. एनडीए नीतीश कुमार की विकास छवि और स्थानीय विधायक ललित नारायण मंडल के काम को सामने रखकर जनता से पुनः समर्थन मांगने की रणनीति पर है.
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