Bihar Chunav 2025: भागलपुर जिले का बिहपुर विधानसभा क्षेत्र गंगा और कोसी के बीच बसा एक उपजाऊ इलाका है. यह क्षेत्र कृषि के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी बेहद दिलचस्प इतिहास रखता है. यह सीट भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और जिले की सबसे छोटी विधानसभा सीट मानी जाती है. वर्तमान में यह सीट भाजपा के खाते में है. शैलेंद्र कुमार यहां से विधायक है. इस बार भी 2025 में कुमार शैलेंद्र यहां से भाजपा प्रत्याशी है, उनका मुकाबला वीआईपी की अरपना कुमारी से है.
11 राउंड में तय होगा भविष्य
बिहपुर विधानसभा से जो भी प्रत्याशी जीत दर्ज करेगा उसके भविष्य का फैसला कुछ ही देर में हो जाएगा. 11 राउंड की काउंटिंग के दौरान तय होगा कि कौन इस सीट पर सिकंदर साबित होगा.
2 लाख 80 हजार से ज्यादा मतदाता
इस क्षेत्र में 2 लाख 80 हजार से अधिक मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 1.40 लाख से ज्यादा और महिला मतदाता करीब 1.39 लाख हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां करीब 58 प्रतिशत मतदान हुआ था. पिछले दो दशकों से यह सीट राजद और भाजपा के बीच सीधी टक्कर का गढ़ रही है.
कांग्रेस और कम्युनिस्टों का कभी रहा दबदबा
1990 से पहले बिहपुर सीट पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव रहा. उस दौर में जनसंघ के उम्मीदवार ने भी एक बार जीत दर्ज की थी. मगर 2000 के चुनाव से लेकर अब तक राजद और भाजपा ही इस सीट की राजनीति के केंद्र में रहे हैं. 2010 और 2020 में भाजपा ने जीत का स्वाद चखा, जबकि बीच के वर्षों में राजद का दबदबा रहा.
बुलो मंडल से शुरू हुई राजद की कहानी
वर्ष 2000 के चुनाव में राजद ने शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को मैदान में उतारा और यहीं से बिहपुर में राजद का परचम लहराया. 2000 और 2005 दोनों चुनावों में बुलो मंडल ने जीत हासिल की. दिलचस्प बात यह रही कि 2005 में दो बार चुनाव हुए और दोनों बार बुलो मंडल ही विजयी रहे.
2010 में भाजपा ने रचा इतिहास
2010 में पहली बार भाजपा ने बिहपुर सीट पर जीत का स्वाद चखा. पार्टी ने कुमार शैलेंद्र को उम्मीदवार बनाया था, जिन्होंने राजद के बुलो मंडल को करीब 600 वोटों के अंतर से हराया. मुकाबला बेहद रोमांचक रहा था. कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार उतारा, जिसे करीब 7 हजार वोट मिले, लेकिन असली जंग भाजपा और राजद के बीच ही रही.
2015 में बुलो मंडल की पत्नी ने संभाली कमान
2014 में बुलो मंडल भागलपुर से सांसद बने तो 2015 में राजद ने उनकी पत्नी वर्षा रानी को टिकट थमाया. वर्षा रानी ने भाजपा के कुमार शैलेंद्र को करीब 12 हजार वोटों के अंतर से हराया और विधानसभा पहुंची. यह चुनाव राजद के लिए बड़ी राहत लेकर आया.
2020 में फिर पलटे समीकरण
2020 में राजद ने बुलो मंडल को फिर से मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने एक बार फिर शैलेंद्र कुमार पर भरोसा जताया. हालांकि इस बार भाजपा ने जीत दोहरा दी और राजद को हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही बिहपुर सीट पर फिर से भगवा परचम लहराया.
भूमिहार, यादव और मुस्लिम मतदाता हैं निर्णायक
बिहपुर की राजनीति पूरी तरह जातीय और ग्रामीण समीकरणों पर आधारित रही है. यहां भूमिहार वोटरों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन यादव और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कृषि प्रधान इलाका होने के कारण केला, मक्का और लिची की खेती यहां बड़े पैमाने पर होती है. गंगा और कोसी के बीच बसा यह क्षेत्र जल और मिट्टी की समृद्धि के साथ-साथ राजनीतिक तापमान से भी हमेशा गर्म रहता है.
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