Bihar Assembly Election Results: बिहार में चुनाव के नतीजे अब अपने आखिरी पड़ाव में पहुंच चुके हैं, जल्द ही जीत और हार का ऐलान भी कर दिया जाएगा. चुनाव आयोग से मिल रहे रूझानों की बात करें तो बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनती दिखाई दे रही है. हालांकि जब तक नतीजे स्पष्ट नहीं हो जाते तब तक इंतजार करना होगा. बिहार में विधानसभा चुनाव के साथ कई राज्यों में उपचुनाव भी कराए गए, जिनके नतीजे आने लगे हैं. कई सीटों पर प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कर ली है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव आयोग द्वारा जीत का ऐलान होने के बाद भी कोई नेता विधायक नहीं बन जाता. किसी भी नेता को विधायक बनने के लिए एक अधिकारी से सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य होता है.
कौन देता है विधायकी का सर्टिफिकेट?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब मतगणना पूरी हो जाती है और नेताओं की जीत का ऐलान कर दिया जाता है तो रिटर्निंग ऑफिसर (RO) औपचारिक रूप से यह घोषणा करते हैं कि किस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. हालांकि जीतने के बाद भी नेता को तब तक विधायक का दर्जा नहीं मिलता, जब तक उसे जीत का सर्टिफिकेट यानी सर्टिफिकेट ऑफ इलेक्शन नहीं मिल जाता. यह प्रमाण पत्र रिटर्निंग ऑफिसर (RO) द्वारा जीतने वाले विधायक को दिया जाता है, जो उस नेता को एमएलए के दर्जे तक पहुंचाता है.
सीट पर विवाद हुआ तो क्या?
इस सर्टिफिकेट में रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के सिग्नेचर होते हैं, साथ ही निर्वाचन आयोग की मुहर लगी होती है. हर उम्मीदवार को खुद जाकर रिटर्निंग ऑफिसर से ये प्रमाण पत्र लेना होता है, जिसमें वीजेता सीट का नाम, कुल मिले वोट और विजेता उम्मीदवार का नाम लिखा होता है. इसके अलावा अगर किसी सीट पर नतीजे को लेकर कोई विवाद है तो सीट पर नतीजे को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की जाती है. साथ ही उस सर्टिफिकेट पर तब तक के लिए स्टे लगा दिया जाता है, जब तक कि कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता. कहने का मतलब कि चुनाव जीतने के बाद भी कई बार विधायक बनने का रास्ता कोर्ट से होकर गुजरता है.










